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युद्ध से क्या हासिल और क्या बरबाद ???

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मुझे देश, राष्ट्र, देशप्रेम आदि का विचार थोड़ा परेशान करता है, दूसरे आपके लिए ये महज़ विचार नहीं बल्कि भाव हैं, ऐसे में मेरा ये कहना कि ये विचार मुझे परेशान करते हैं, आपके दुःख का कारण हो सकता है. लेकिन ये भी जानना ज़रूरी है कि मुझे ये विचार परेशान क्यों करते हैं! आप किसी भी मुल्क में रहते हों, आपका मुल्क किन्हीं दूसरे देश की सीमाओं से लगा हुआ है, इन सीमाओं को हमारे और आपके जैसे कुछ लोगों ने कुछ साल पहले बनाया है. अगर इन सीमाओं पर तैयार की गयी दीवार, लगाये गये कांटे या खड़े किये गये सिपाही हटा दिए जाएँ और आप दूसरी तरफ़ जाकर देखें, तो पायेंगे कि उधर भी आपके ही जैसे लोग रहते हैं, यहाँ तक कि उनका पहनावा और बोली तक हमारे जैसी हो सकती है. उनकी धरती, उनके बाग़, उनके खेत, उनके दुःख, उनके सुख, उनका प्रेम यहाँ तक कि उनके सपने तक हमारे जैसे हैं.  ऐसे में क्या ये सवाल नहीं उठना चाहिए कि फिर हमारे बीच ये दीवार, ये कांटे, ये सिपाही किसने खड़े किये?  हम सब खेती करते हैं, नहीं करते हैं तो कम से कम खेती करने को जानते हैं या फैक्ट्रियों में काम करते हैं. काम से दाम या मज़दूरी मिलती है, इसी तरह से खेती