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अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मंत्रीजी जनता का दर्द समझ गए, पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को समझ नही आ रहा...!

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 विभीषण हर घर में होता ही है. सरकार में रहकर सरकार के सामने आवाज उठाना भी बड़ी बात है. में बात कर रहा हु गुजरात के आरोग्य मंत्री कुमार कानानी की, कुमार कानानी ने हाल ही में प्रशाशन के सामने अपनी आवाज उठाई है. कुमार कानानी ने गुजरात के ट्रैफिक डीजीपी को पत्र लिखा है. उस पत्र में कुमार कानानी ने विनंती के साथ चेतांवनी भी दी है. कुमार कानानी ने ट्रैफिक डीजीपीको लिखे पत्र में लिखा है. महामारी में सिर्फ मास्क ना पहने हो उस बात पर ही दंड वसूल किया जाए, इसके अलावा कोई भी दंड वसूल नही किया जाना चाहिए. क्योंकि कोरोना महामारी में कई लोगो के पास खाने के पैसे भी नहीं है, और आप दंड वसूल करेंगे तो क्या होगा ? इसलिए मास्क ना पहनने पर दंड वसूलने के अलावा कोई भी दंड न वसूला जाए. कुमार कानानी का कहना है अगर ऐसा नही किया गया तो में आंदोलन करूंगा. एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में कुमार कानाणि ने कहा की मैने डीजीपी को पत्र लिखकर बिनती भी की है, अगर माने तो ठीक है नही तो आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है. ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि बहुत से लोगो ने मुझसे फरियाद भी की थी और सुझाव भी दिए थे. वैसे तो भाजपा की सरकार

जनेऊ क्यो पहनी जाती है ??? #Ravalkalpesh_s

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 यज्ञोपवित हो सामान्य बाल्य वस्था से युवा अवस्था करती संस्कार विधि है. जनेऊ कर धागे सूत के बने हुए साधारण होते है, फिर भी वो ब्राह्मणों का आभूषण है. जो अमूल्य है, जिससे देवता - पितृओ और समाज का ऋण चुका सकते है. यज्ञोपवित धारण करने के मुख्य तीन कारण है. सत्य, व्यवहार में चरित्रशीलता और दिव्यगुणो का आविष्कार. ये तीनो संस्कार यज्ञोपवित क्रियाविधि द्वारा बाल्य के संस्कार में डालने के लिए संपन्न किया जाता है. श्रावण सूद पूर्णिमा के सुप्रभावेत अन्नादि कार्य पूर्ण करके पूजा मंदिर में इष्टदेव का पूजन करके सूर्य नमस्कार दारा गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है. पूर्ण श्रद्धा से त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु, महेश के मंत्र स्मरण के बाद यज्ञोपवित में गायत्री मंत्र का आह्वान किया जाता है. जिससे ये जनेऊ का धागा एक अकल्प्य, अमूल्य, ब्रह्मसूत्र बन जाता है. जो गायत्री माता समान पूजनीय पवित्र मानकर जनेऊ को वर्ष भर स्वच्छ रखकर उनका जतन किया जाता है.  पुरानी जनेऊ निकलते वक्त नीचे के मंत्र के भावार्थ का उच्चारण किया जाता है. "है ब्रह्मसूत्र ये पूरा साल आप मेरे ब्रह्मसुत्रत्व का रक्षण किया है. किंतु वो जी

सोशल मीडिया और तकनीक सिर्फ एक सुविधा है, जीवन नही

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 "सोशल मीडिया और तकनीक सिर्फ एक सुविधा है, जीवन नहीं" इसलिए सत्य को समझिए और एक दूसरे से वास्तविक जिंदगी में भी जुड़े रहिए.  एक शुभचिंतक ने मुझे एक शुभ कहानी भेजी।  जिसे मैं आप सभी दोस्तों के साथ शेयर कर रहा हूं।  उम्मीद है आप इसे पसंद करते हैं।  एक युवक अपने पिता के साथ बैंक गया था।  युवक के पिता को कुछ पैसे कहीं ट्रांसफर करने थे।  बैंक में थोड़ा और समय बिताने के बाद, युवक बेचैन हो गया और उसने अपने पिता से पूछा, "आप इंटरनेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग क्यों नहीं करते? मुझे अपना मोबाइल फोन दें और मैं आपके लिए इंटरनेट बैंकिंग शुरू कर दूंगा।"  उसके पिता ने पूछा, "बेटा, मैं इंटरनेट बैंकिंग क्यों शुरू करूं?"  युवक ने उत्साह से उत्तर दिया, "पिताजी, एक बार जब आप इंटरनेट बैंकिंग शुरू कर देते हैं, तो आपको धन हस्तांतरण जैसी चीज़ों के लिए बैंक आने की आवश्यकता नहीं होती है और आप अपनी ज़रूरत का सामान भी ऑनलाइन खरीद सकते हैं। सब कुछ बहुत आसान हो जाएगा!"  पिताजी ने पूछा, "तो मुझे यह सुविधा शुरू करने के बाद घर से बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है, है ना?"  युवक

श्रावण में शिव दर्शन और भगवान_शिव के "35" रहस्य!!!!!!!!

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भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है। *🔱1. आदिनाथ शिव : -* सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। *🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : -* शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था। *🔱3. भगवान शिव का नाग : -* शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है। *🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : -* शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं। *🔱5. शिव के पुत्र : -* शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है। *🔱6. शिव के शिष्य : -* शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चल

जीत के कोलाहल में ज्वलंत समस्याओं को दफनाने का प्रोपेगेंडा

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 जीत के जश्नके "शोर" में जनताकी "चीखे" दबाने की भरपूर कोशिश : सरकारकी नाकामी भुलाने का प्रोपगेंडा जब से ओलंपिक शुरू हुआ है तब से लेकर जब मीराबाई चानू ने मेडल जीता तब से लेकर नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के साथ साथ गोदी मीडिया और राज्य सरकारों ने जैसे जनता के मुद्दो को ही दफन कर दिया है. जीत का जश्न होना जरूरी है, देश के लिए गर्व की बात है की हम ओलंपिक में मेडल जीतकर आए है, पर उस खुशी के नीचे जनता की चीखों को दबाने की कोशिश जो की जा रही है वो शर्मनाक है. क्योंकि गोदी मीडिया और सरकारों द्वारा ऐसा माहौल क्रिएट किया जा रहा है, जैसे देश में जीत के अलावा और कोई बात ही नही की जा रही. सदन में सत्र के दौरान विपक्ष की बातो को नजरंदाज करके विपक्ष को बोलने नही दिया जा रहा, लगभग पूरा सत्र बरबाद कर दिया गया. सत्र के दौरान 20 से ज्यादा बिल विपक्ष की गैर मौजूदगी में पास भी किए गए, पर जनता के हित की बात एक बार भी नही हुई. संसद के सत्र में बात होनी चाहिए थी किसानों की, महंगाई की, स्कूल से ड्रॉप आउट कर रहे स्टूडेंट की, कोरोना महामारी में परेशान लोगो की, देश में चल रही व्यापार में म

जो जीता वही सिकंदर ? हारने वाला कुछ नही ???

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 जीतनेका श्रेय सब ले रहे है, हारने वाले को कोई नही पूछ रहा...!? में बात कर रहा हु टोक्यो ओलंपिक की. वैसे तो आप सब समझदार है. पर आज ये बात करना जरूरी बन गया है. क्योंकि आज खेल में भी राजनीति घुस चुकी है. जीतनेवाले खिलाड़ियों के लिए सब कोई कह रहा है की ये हमारी वजह से जीत कर आए. पर हारकर आने वाले खिलाड़ियों ना तो कोई पूछ रहा है, ना गोदी मीडिया उनकी चर्चा कर रहा है, और ना ही नेता कह रहे है, की हमारी गलती की वजह से ये खिलाड़ी की हार हुई. दिन ब दिन खेल को प्रोत्साहित करने की बजाय खेल बजट में कमी की जा रही है. खेल की शुरुआत स्कूल से होती है, पर आज 95% स्कूल ऐसे है जहा आउटडोर गेम्स के लिए ग्राउंड तक नही है. सरकार ने 2018 ने खेलो इंडिया लॉन्च करके करोड़ों रुपिया खर्च करके खुद की पब्लिसिटी भी करवाई और जनता के स्थान खिलाड़ियों को भरोसा दिलाने का दिखावा किया की सरकार खिलाड़ियों की परवा करके उनके बारे में कुछ कर रही है. आज हालत क्या है ? किसी भी पूर्व खिलाड़ी की कोई पूछ नही रहा, आज वो खिलाड़ी किस हालात में अपना जीवन जी रहा है, ये पूछने की भी किसी को फुर्सत नही. आज जिस खेलाडियो की चर्चा हो रही है,

जामनगर कोंग्रेस द्वारा किसान बचाओ खेत बचाओ अभियान

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*किसान खेत बचाओ अभियान* के तहत आज गुरुवार 06/08/21 को जामनगर शहर/जिला कांग्रेस कमेटी एवं किसान कांग्रेस के नेतृत्व में   हापा मार्केटिंग यार्ड में प्रदर्शन व नारेबाजी के साथ रैली निकाली गई।   कार्यक्रम में *किसानों और व्यापारियों* के बीच "कॉन्ट्रैक्ट साइन ड्रामा" के रूप में पात्रों को विशेष रूप से, तीन काले कानूनों के खिलाफ, और किसानों के साथ किए गए अन्याय के रूप में चित्रित किया गया था।  और भाजपा सरकार की यह किसान विरोधी नीति *बीरबल की खीरडी* के समान है, इसलिए सार्वजनिक रूप से खीरडी पकाकर किसानों और लोगों को जागरूक करने का कार्यक्रम बनाया गया, लेकिन तब पुलिस और सभी नेताओं ने रैली को रोक दिया. हिरासत में लिए गए..    जामनगर जिला कांग्रेस कमेटी के माननीय अध्यक्ष श्री जीवनभाई कुंभारवाड़िया और जामनगर सिटी कांग्रेस कमेटी के माननीय अध्यक्ष श्री दिगुभा जडेजा और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के किशन प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष श्री कंदेवसिंह जडेजा और जामनगर जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव विधायक श्री चिरागभाई कलारिया एवं कलावाड़-2 के माननीय विधायक श्री प्रवीणभाई

मन की बात छोड़कर कब करेंगे जन की बात ?

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  मन की बात छोड़कर कब करेंगे जन की बात ? बच्चो को स्कूल भेजने की फीस, बुजुर्गो की दवाई का खर्च, बैंको के ईएमआई का खर्च. घर में महंगाई की वजह से घर का बजट भी बिगड़ा हुआ है. हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था, इसके हिसाब से तो 14 करोड़ रोजगार होने चाहिए. बेरोजगारी की तलवार दो सालो में इतनी चली है, की नौकरी चली गई, तनख्वाह कट गई. आम आदमी करे तो क्या करे ? सरकार का आंकलन ti ऐसा है की 1 हफ्ते में 1 घंटे का काम मिल गया तो भी आप बेरोजगार नहीं है.  सरकार के आंकड़ों से तो दिख रहा है कि बेरोजगारी दर देश में घट रहा है पर वास्तविकता क्या है ? सिर्फ जुलाई की बात करे तो 32 लाख लोगो ने अपनी नोकरी गवा दी है. छोटे छोटे व्यापारियों की बात करे तो साइड जुलाई में 24 लाख लोगो के व्यापार बंद हो चुके है, जिसमे चाय, पान, रेहड़ी जैसे छोटे व्यापारी है. युवा बेरोजगार रहेगा तो देश तरक्की कैसे करेगा ? सिर्फ सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारी घटा देने से फायदा क्या होगा ? जुलाई में बेरोजगारी दर शहरी एरिया में 8.30 परसेंट तक पहुंच गई है. ग्रामीण इलाको में 6.34% तक. बेरोजगारी को लेकर आंकड़ों की मायाजाल तो बिछाई जा रही है

कलयुग का प्रहार और शुद्ध ब्राह्मणों का प्रतिरोध

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बात थोड़ी लंबी है लेकिन बहुत गम्भीर है।  इसलिए हो सके तो पूरी बात पढ़ने की कोशिश करें।  प्रत्येक माननीय "ब्राह्मण" को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए और शांति से इस पर विचार करना चाहिए।  जब पापियों का राज्य भयानक होगा,  दुर्लभ सत्य, अहिंसा, करुणा और दया दुष्टों के कारण होगी,  सज्जनों का जीना बहुत कठिन होगा,  धर्म को धूल चटाने से अधर्म का राज होगा,  और जब कलियुग अपने चरम पर है,  तब पापों के विनाश के लिए अवतार लेंगे "कल्कि",  देवदत्ती नाम के घोड़े पर सवार होकर  अधर्मियों का सिर धड़ से अलग हो जाएगा,  और जिस तरह "कृष्ण द्वारा द्वापरमा" अधर्म का नाश किया गया था  उसी तरह "कल्कि द्वारा कलियुग" अधर्म का नाश करेगा  और तब धर्म अधर्म पर और पुण्य पाप पर विजय प्राप्त करेगा  और एक बार फिर शुरू होगा "धार्मिक सतयुग"।  हमारे शास्त्रों और पुराणों के अनुसार जब कलियुग अपने चरम पर होगा, तब भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि अवतार पृथ्वी पर जन्म लेंगे।  जो पाप और पापियों, अधर्म और अधर्म का नाश करेगा।  इसके बाद सतयुग शुरू होगा।  यह हम सभी जानते हैं लेकिन ब्राह्