संदेश

मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विरोध का तरीका कब तक सही ??

चित्र
 बदलते समय के साथ साथ विरोध का तरीका भी बदलता जा रहा है, पर विरोध की हद कहा तक ??? विरोध का कुछ नियम, कुछ हद तक हो तभी तक बर्दास्त किया जा सकता है. बीते समय में सत्ताधारियों के खिलाफ कई पार्टियों ने भी विरोध प्रदर्शन किए थे, पुतले भी जलाए गए थे, इंदिराजी की सरकार में अटल बिहारी वाजपेई बैल गाड़ी लेकर संसद भवन गए थे, कोई नेता पेट्रोल के दाम के विरोध में सायकल लेकर संसद गया, भाजपाई नेताओने यूपीए की सरकार में कपड़ा फाड़कर महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किए, स्मृति ईरानी और अन्य नेताओने साथ मिलकर बीच रास्ते सिलिंडर रखकर विरोध किए, वैसे ही एनडीए के शासन में बदलते समय के साथ विरोध करने का तरीका भी बदलता जा रहा है. हाल में ही आपने देखा होगा की अदानी मामले पर JPC जांच की मांग के साथ कोंग्रेस ने संसद में हंगामा किया, भाजपाई सांसद राहुल गांधी माफी मांगे की मांग पर अड़ी रही और एक दिन भी सदन में जनता के मुद्दो पर काम नही हुआ. हुआ तो सिर्फ हंगामा. जनता के टेक्स के करोड़ों रूपिये हुए बर्बाद. आखरी दिन में कोंग्रेस के साथ सभी विपक्षी पार्टीओने साथ मिलकर संसद की गलियारों में ही प्रदर्शन शुरू कर दिया और स

बढ़ती हुई दुष्कर्म की घटनाओं के जिम्मेदार कौन ???

चित्र
  बढ़ती हुई दुष्कर्म की घटनाओं के जिम्मेदार कौन ??? "श्याही सुख नही पाती अखबार की एक और खबर आ जाती है दुष्कर्म की....!" बदलते हुए समय के साथ साथ आम इंसान को भी बदलना चाहिए. नए जमाने के साथ चलना चाहिए. जैसे जैसे डिजिटल युग आगे बढ़ने लगा है वैसे वैसे हमारे देश के युवा भी इस डिजिटल युग का भरपूर फायदा उठाने में लग चुका है. जब तक किसी नई टेक्नोलॉजी का सही इस्तमाल हो तब तक कोई दिक्कत नही, पर जब उसी टेक्नोलोजी का इस्तमाल गलत बातों को आगे बढ़ाने में या दिखाने के लिए होने लगे तो यूवाओ और देश के भविष्य के लिए नुकसान देह साबित हो जाता है. आजकल युवा ज्यादातर फेमस होने के लिए सोशल एप्स का उपयोग करते रहते हैं पर वह यह नहीं जानते की सोशल एप्स का उपयोग किस तरह और कैसी बातों के लिए करना चाहिए क्योंकि खुद फेमस होने के लिए कोई भी बातें यह कैसी भी बातें बढ़ा चढ़ा कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं जिससे उनके विरोध तो बढ़ जाते हैं पर उसके ऐसा गलत काम करने से समाज को और देश को कितनी नुकसानी भुगतनी पड़ रही है उसका अंदाजा युवा को युवाओं को नहीं है. आज देश में हर मिनट पर कहीं ना कहीं किसी ना किसी