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"आप" की हार पर कोंग्रेस खुश क्यों ??? पढ़िए

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 "आप" की हार पर कोंग्रेस खुश क्यों ??? पढ़िए ५ अप्रैल २०११ को एक सशक्त लोकपाल विधेयक के निर्माण की माँग पर सरकारी निष्क्रियता के प्रतिरोध में अन्ना हजारे ने आमरण अनशन शुरु कर दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी इस मुहिम में अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, बाबा रामदेव एवं अन्य अनेक प्रसिद्ध समाजसेवी शामिल थे। सरकार ने इसे उपेक्षित करना जारी रखा। अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन अप्रैल 2011 में शुरू हुआ। हजारे ने 5 अप्रैल को भूख हड़ताल शुरू की, जिसे समर्थन मिला और प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। अन्ना के आंदोलन को जन लोकपाल आंदोलन नाम दिया गया। 12 दिनों की भूख हड़ताल के बाद सरकार लोकपाल विधेयक तैयार करने पर सहमत हो गई। खेल शुरू हुआ अण्णा हजारे के आंदोलन से लेकिन क्या आपको लगता है कि अन्ना इतना होशियार है कि वो कोई आंदोलन कर सकता है? उसको प्रधानमंत्री बोलना नहीं आता, लोकतंत्र बोलना नहीं आता, उसको आगे रखकर सारा खेल खेला गया अरविन्द केजरीवाल द्वारा, वो होशियार आदमी है और उसकी टीम भी होशियार लोगों की है । उस आंदोलन को bjp आरएसएस का प्रत्यक्ष समर्थन था ये बात हर राजनीतिक ...