महात्मा गांधी को कितनी बार मारोगे ??? अब और नही...

गांधी को फिर मरने नही देंगे। गांधी भगवान नहीं, अवतार नही, नबी नही, जीसस भी नही है। वो एक मामूली इंसान थे। कुछ सोचता थे, बोलता थे.. लोग सुनते थे, मान जाते थे, या नही भी मानते थे। फिर भी हम गांधी को पूजते हैं। मन्दिर में नही, हृदय में.. माना कि गांधी ईश्वर नही, माना वह आलोचना से परे नहीं। क्यो हो, हम तो यहाँ ईश्वर की भी आलोचना करते है। श्रीराम द्वारा बाली को छुपकर मारने पर, स्त्री के त्याग पर। टिप्पणी कृष्ण पर भी करते हैं, सम्विधान पर भी। आलोचना से परे तो कोई नही। गांधी भी नही। पर तय तो हो के आलोचना किस बात की करेंगे? क्या सत्य बोलने के आग्रह पर, क्या अहिंसा के प्रण पर?क्या हम भरोसे, मुस्कान, प्रेम और एकता के विचार के लिए गांधी का विरोध करेंगे,या भाईचारे के आग्रह पर? हो कहाँ पाता है आपसे। आप जब झूठ फैलाते है, तो खुद ही उसे "असली सच" का नाम देते हैं जब गांधी की शिक्षाओं से, उनके असर और व्यक्तित्व से न लड़ सके, तो आपने गांधी को ही खत्म कर दिया। इस उम्मीद में कि विचारों का ये झरना मिट जाए। वो गोडसे जो कर गया, कुछ अधूरा रह गया। लेकिन गांधी नही मिटा, वो बड़ा...