विरोध का तरीका कब तक सही ??
बदलते समय के साथ साथ विरोध का तरीका भी बदलता जा रहा है, पर विरोध की हद कहा तक ??? विरोध का कुछ नियम, कुछ हद तक हो तभी तक बर्दास्त किया जा सकता है.
बीते समय में सत्ताधारियों के खिलाफ कई पार्टियों ने भी विरोध प्रदर्शन किए थे, पुतले भी जलाए गए थे, इंदिराजी की सरकार में अटल बिहारी वाजपेई बैल गाड़ी लेकर संसद भवन गए थे, कोई नेता पेट्रोल के दाम के विरोध में सायकल लेकर संसद गया, भाजपाई नेताओने यूपीए की सरकार में कपड़ा फाड़कर महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किए, स्मृति ईरानी और अन्य नेताओने साथ मिलकर बीच रास्ते सिलिंडर रखकर विरोध किए, वैसे ही एनडीए के शासन में बदलते समय के साथ विरोध करने का तरीका भी बदलता जा रहा है.
हाल में ही आपने देखा होगा की अदानी मामले पर JPC जांच की मांग के साथ कोंग्रेस ने संसद में हंगामा किया, भाजपाई सांसद राहुल गांधी माफी मांगे की मांग पर अड़ी रही और एक दिन भी सदन में जनता के मुद्दो पर काम नही हुआ. हुआ तो सिर्फ हंगामा. जनता के टेक्स के करोड़ों रूपिये हुए बर्बाद. आखरी दिन में कोंग्रेस के साथ सभी विपक्षी पार्टीओने साथ मिलकर संसद की गलियारों में ही प्रदर्शन शुरू कर दिया और संसद की दीवारों पर पोस्टर फहरा दिए. ये विरोध की एक लिमिट है...!
पर देश के मुखिया मतलब प्रधानमंत्री जी का विरोध करके पूरी दिल्ली में "मोदी हटाओ, देश बचाओ" सूत्र वाले पोस्टर लगाकर विरोध करना कहा तक उचित हो सकता है ???
हालाकि ऐसा विरोध होने पर पुलिस एक्शन में आ गई और तकरीबन 100 से ज्यादा FIR भी दर्ज की, 6 लोगो को गिरफ्तार भी किया, साथ साथ एक वेन को भी पकड़ा जिसमे दीवारों पर लगाने वाले बैनर का जत्था जो दीवार पर लगे उससे पहले पकड़ लिया गया.
विरोध करने के तरीके और भी है....
किसी भी सत्ताधीश पार्टी, नेता का विरोध करने के तरीके और भी तो है, आप डिबेट में जाते है तो वहा पर भले ही सेट किए हुए मुद्दो पर ही डिबेट हो रही हो, पर आप अपना विरोध तो दर्ज करा ही सकते है, और आपका पक्ष भी रख सकते है.
राजकीय पक्ष रेली निकालकर अपनी हद में रहकर किसी भी सत्ताधीश का अपनी मांग रखकर सत्ताधीश का विरोध कर सकता है. ये अधिकार हमे बाबा साहेब आंबेडकर जी के लिखे संविधान ने दिया है. बशर्ते विरोध ऐसा हो जिससे हमारे देश की बदनामी विदेश में न हो ये देखने का काम भी विरोध करने वाले व्यक्ति, समूह, राजकीय पार्टी की ही है.
ऐसे प्रधानमंत्री मोदीजी के पोस्टर लगाकर विरोध को कदापि जायज नहीं माना जाना चाहिए, और ऐसा करने वालो पर कानूनी कार्यवाही करके सख्त से सख्त कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए
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कल्पेश रावल
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