Population Control Law: जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है ? इस कानून की जरूरत क्यो है ?

 Population Control Law: जनसंख्या नियंत्रण कानून क्या है ? इस कानून की जरूरत क्यो है ? और सत्ताधारी पार्टी इस कानून को क्यो लाना चाहती है ? क्या ऐसे कानून का पालन हो पाएगा ?



देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है. ये सवाल फिर बहस का मुद्दा बन गया है कि 'क्या देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कानून की दरकार है?' ये सर्वविदित है कि भारत की जनसंख्या जिस रफ्तार से बढ़ती जा रही है, वो दिन दूर नहीं जब हम विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के नागरिक होंगे. वर्तमान में हम जनसंख्या के मामले में चीन के बाद दूसरे पायदान पर हैं. लेकिन चीन ने कई साल तक कानून की लगाम से जनसंख्या पर नियंत्रण पा लिया और भारत अगले कुछ साल में चीन से आगे निकल कर नंबर एक के पायदान पर होगा. लेकिन सच ये है कि हमें इस पर गर्व करने की बजाय चिंता करने की जरूरत है. ये बात इस देश के हुक्मरानों को भी मालूम है कि बढ़ती जनसंख्या एक दिन देश के लिए मुसीबत बन जाएगी.



लेकिन बहस का मुद्दा ये है कि जनसंख्या नियंत्रण (population control law) का उपाय क्या होना चाहिए. क्या इसके लिए किसी कानून की जरूरत है या फिर शिक्षा और जागरुकता के जरिए कामयाबी मिल सकती है?


असम और यूपी में 'कमल' ने चली कानूनी 'चाल' 

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर BJP काफी समय से बेहद मुखर रही है. पार्टी के कई बड़े नेता समय-समय पर बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए कानून की पुरजोर वकालत करते रहे हैं. नेताओं के इस तरह के बयान पर सियासी बखेड़ा भी होता रहा है. लेकिन इस बार BJP ने एक कदम आगे बढ़कर कानून बनाने का ऐलान कर दिया है. इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्य असम से हुई है. जहां BJP की सरकार ने ऐलान कर दिया है कि दो बच्चों से ज्यादा होने पर सरकारी नौकरी के साथ-साथ किसी भी तरह की अन्य सरकारी सहायता और योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा.



असम के बाद अब बारी देश के सबसे बड़े सूबे की है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी इस ओर कदम बढ़ा दिया है. जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट बना लिया है.


विपक्ष लगातार ये सवाल खड़े कर रहा है कि 'केंद्र में मोदी सरकार को 7 साल हो चुके हैं. बावजूद इसके अब तक कभी जनसंख्या को लेकर सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई गई. सिर्फ BJP के नेता समय-समय पर बयानबाजी करते रहते हैं, जिससे कि साम्प्रदायिक सौहार्द को खराब किया जा सके'. आज उत्तरप्रदेश में कानून लागू करने की बात पर सभी को लग रहा है की भाजपा जातिवाद को बढ़ावा दे रहा है. 


एक्सपर्ट्स भी जनसंख्या 'विस्फोट' को बता रहे खतरा 

ये सच है कि सियासी दलों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की वजह से जनसंख्या नियंत्रण का विषय संवेदनशील बन गया है. इस विषय पर कुछ भी बोलना सियासी तूफान खड़ा कर देता है. जब-जब इस विषय पर गंभीर चिंतन और चर्चा की जरूरत हुई, तब-तब वोट बैंक पॉलिटिक्स के चक्कर में नेताओं ने इसे विवादित मुद्दा बनाकर रख दिया.


लेकिन इन सबसे इतर, मामलों के जानकार (एक्सपर्ट्स) जनसंख्या बढ़ोतरी को एक गंभीर विषय मानते हैं. जानकारों का कहना है 'अगर इसी रफ्तार से जनसंख्या वृद्धि होती रही तो ये देश के लिए ठीक नहीं होगा. हमारी जमीन, हमारा क्षेत्रफल, हमारे संसाधन सीमित हैं. अगर जनसंख्या का बोझ ज्यादा बढ़ा तो फिर तरक्की की राह में रुकावट पैदा होगी. जनसंख्या के मामले में हम जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, तुलनात्मक तौर पर उस रफ्तार से हमारी आर्थिक प्रगति नहीं हो रही है और ये गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बेरोजगारी, प्रति व्यक्ति कम आय जैसी समस्याओं की एक बड़ी वजह है.' एक्सपर्ट्स ने दुनिया के दूसरे विकसित देशों से तुलना करते हुए ये माना है कि 'वो देश इसलिए विकसित हैं क्योंकि उनके पास संसाधन भरपूर हैं, आर्थिक संपन्नता है और इसकी तुलना में जनसंख्या कम है. जबकि भारत में जनसंख्या एक विकराल समस्या बनती जा रही है.'



अगर हम एक्सपर्ट्स की बातों को गंभीरता से समझें, तो ये जरूरी हो जाता है कि हमारी सियासी बिरादरी इस मामले पर थोड़ी समझ और संवेदनशीलता दिखाए. विपक्ष को चाहिए कि वो इस मुद्दे को सिर्फ सियासी चश्मे से न देखे और विपक्ष में होने के मकसद से सिर्फ विरोध न करे. वहीं सबसे बड़ी जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है, जिसे इस मामले को सियासी एजेंडे के बदले सामाजिक एजेंडे के तौर पर लेना होगा. इसके लिए देश की सभी प्रमुख पार्टियों से सलाह-मशविरा कर एक सटीक रास्ता निकालना होगा. तभी हम भविष्य की बड़ी चुनौती से निपट पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक सुविधा सम्पन्न और विकसित राष्ट्र दे सकेंगे.


सिर्फ सरकारी लाभ से वंचित रखने हेतु कानून का प्रावधान बनाकर कानून का पालन करवा सकेंगे ?


जन संख्या नियंत्रण कानून से दो से अधिक बच्चों वाले परिवार को सिर्फ सरकारी लाभ से वंचित रखने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है तो कानून का कोई मार्लब नही रह जायेगा. क्योंकि आजकल पढ़े लिखे भी बेरोजगार घूम रहे है. सरकारी नोकरियो में खाली पद होने के बावजूद किसी को नोकरी नही मिल रही. सरकार में खाली पद भरने के लिए परीक्षाएं तो ली जाती है पर नोकरी देने के लिए रिजल्ट की घोषणा नही की जाती. इस पर आप अगर सिर्फ सरकारी लाभ से वंचित करने हेतु को आगे करके किसी को कानून पालन करवा सकेंगे ये बात किसी को पल्ले नहीं पड़ने वाली.

अगर आप देश को विकसित करना चाहते है तो रोजगार बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा, इस पर तो आप ध्यान दे नही रहे. शिक्षा को मजबूत बनाना पड़ेगा, पर शिक्षा भी दिन ब दिन महंगी और स्कूलों में अध्यापक न होने की वजह से शिक्षा का स्तर भी गिरता जा रहा है. इस पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है.

आज देश को कानून के साथ साथ अच्छी शिक्षा, रोजगार, सेवा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की जरूरत है. अगर आप देश की जनता को वही सही तरह नही दे पा रहे तो कानून बनाने से फायदा क्या होने वाला है ? जब की आप सरकार में संविधान पद पर बैठकर संविधान पद पर बैठे लोगो से ये कानून का अमल नहीं करवा सकते.!!!!








Kalpesh Raval

Journalist




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