भाजपा में लगी आग कब बुझेगी ?? हवा कौन दे रहा है ???

अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को सिस्तबद्ध पार्टी कहते कहते थकते नहीं भाजपा नेता. पर अब भाजपा का अंदरूनी कलह धीरे धीरे बाहर आने लगा है. ये सिर्फ गुजरात में नही हो रहा. असम, मध्यप्रदेश, राजस्थान महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में दिखाई देने लगा है.

पहले गुजरात में तीन महिला नेताओ के बीच हुई बबाल की बात करते है.

जामनगर 78 के विधायक और क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा ने जामनगर के सांसद और महापौर को जनता के बीच में छोटी सी बात में बीच चौराहे पर बबाल हो गया और भाजपा नेताओं में जामनगर से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया.


बबाल धीरे धीरे बढ़ा विधायक ने महापौर को कहा की आप अपनी औकात में रहिए. मुझे पता है चुनाव में किसने क्या किया था.

सुनकर सांसद पूनम बेन ने शांति बनाए रखने की अपील की तो विधायक ने उनको भी सुना दिया और कहा ये सब आपने ही जलाया है अब बुझाने की कोशिश कर रही है.

ये सब तब हुआ जब शाहिद मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने भाजपाई नेता और कार्यकर्ता इकट्ठे हुए थे.

अपने आप को शिस्तबद्ध पार्टी बताने वाली भाजपा का सिस्त एक ही झटके में जनता के सामने आ गया.

पूरे दिन बबाल के बाद बात सीधी गांधीनगर और दिल्ली तक पहुंच गई.

फिर सांसद ने रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया की कुछ गलतफेमी की वजह से बबाल हो गया, पर अब ऐसा कुछ नही है, हम सब मिलकर आनेवाला चुनाव लडने वाले है.

देखनेवाली बात ये है की सब कुछ ठीक हो गया था तो फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक को उपस्थित रहना चाहिए था, पर वो उपस्थित नही थी. मतलब साफ है आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है.

ये मामला यही तक रुके ऐसा लग नही रहा.

जनता के बीच से भी बाते आ रही है, की जो हुआ वो गलत हुआ, और उससे भाजपा और भाजपा के नेताओ को ही नुकसान हुआ है.


सूत्र के मुताबिक दूसरे दिन महापौर बिना बेन कोठारी के परिवार ने भाजपा शहर कार्यालय जाकर मांग की की विधायक रिवाबा अपने शब्द वापस ले...


जब सांसद ने कह दिया था तो सोचने वाली बात ये है की भाजपा के अंदरूनी कलह बाहर आने पर हवा कौन दे रहा है ??? क्योंकि जब सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तब महापौर भी तो उनके साथ बैठी थी, तब क्यो आपत्ति नहीं जताई ??

मतलब अभी भी आग बुझी नही, और कोई ऐसा जुथ है जो इस आग को हवा दे दे कर अपना उल्लू सीधा करने में लगा हुआ है.

देखते है आगे क्या होता है.


महादेव भाजपा से रूठ गए है...

मध्यप्रदेश में क्या हुआ ???

जी हा, लग तो ऐसा ही रहा है, क्योंकि आपको याद होगा कुछ महीनों पहले मध्यप्रदेश में महाकाल लोक में भारी हवा के चलते भ्रष्टाचार से निर्मित महाकाल लोक की मूर्तियां नीचे गिरकर खंडित हो गई थी. वहा भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजिन वाली शिवराज सिंह चौहान की सरकार है. मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक है, जहा कल ही भाजपा के बड़े नेता ने अपने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा छोड़ कर कोंग्रेस में कमलनाथ का दामन थाम लिया है. भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी करते ही मध्यप्रदेश में विरोध शुरू हो गया है. चुनाव नजदीक हो तब नेताओ की दल बदलने की मौसम आम बात है पर भाजपा के लिए ये आम बात नही हो सकती. क्योंकि भाजपा में मोदीजी और शाह जी के आदेश पर पूरी पार्टी चलती है, नेताओ की भागम भाग से आप समझ सकते है की मोदीजी और शाह जी की भाजपा के नेताओ पर अपनी पकड़ ढीली हो चुकी है....


आसाम में मंत्री ने दिया इस्तीफा...



असम में भी भाजपा की डबल इंजिन वाली हिमंत बिश्वा शर्मा की सरकार है, असम में मुख्यमंत्री से नाराज होकर एक नेता ने इस्तीफा दे दिया है.


राजस्थान में क्या हो रहा है ???

राजस्थान में कुछ महीनो में विधानसभा चुनाव आने वाले है. राजस्थान में कोंग्रेस के चाणक्य और जादूगर अशोक गहलोत की सरकार है.



भाजपा द्वारा हाल में ही चुनावी कमिटी की घोषणा की गई उसमे पूर्व मुख्यमंत्री वशुंधरा राजे सिंधिया का नाम नहीं आया. वसुंधरा राजे का नाम कमिटी में नही होने से सूत्रों से पता चला है की वसुंधरा राजे भी भाजपा से नाराज चल रही है. ऐसे में कब क्या हो जाए किसी को पता नही चल रहा.


महाराष्ट्र में मंथन...


महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी ने पहले शिवसेना को तोड़कर शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को शिवसेना में बगावत करवा कर महाराष्ट्र की सत्ता एकनाथ शिंदे को सौंप दी. फिर भाजपा को लगा कि लोकसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे से काम नहीं चलने वाला इसलिए उसने शरद पवार की पार्टी एनसीपी को भी तोड़ा और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार से बगावत करवाई और उनको भी गठबंधन सरकार के शामिल करवा लिया और उनके साथ आए नेताओ को भी सरकार में मंत्री बना दिया गया.

महाराष्ट्र से बार बार ये भी खबर आने लगी है की अब एकनाथ सिंधे की कुर्सी छीनकर अजीत पवार को दी जाएगी...!?

इतना कुछ करने के बाद भी भाजपा की दाल महाराष्ट्र में गलती नही दिख रही इसलिए उसने अब नया दांव चलना शुरू कर दिया है, की शरद पवार एनडीए में शामिल हो जाए, ऐसी कोशिश भी शुरू कर दी है.

मतलब साफ है महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कोंग्रेस महा विकास अघाड़ी का पलड़ा अभी भी भारी है.


भाजपा नेताओं की बोखलाहट...

किसी न किसी जगह से ऐसी खबर आने से भाजपा का नेतृत्व कर रहे नेताओ और आईटी सेल वालो में बोखलाहट बढ़ती जा रही है.


दो दिन पहले एक प्राध्यापक ने सिर्फ इतना कहा की "वोट करो तो किसी पढ़े लिखे को करना".. इस बात की भाजपा ने अपने ऊपर ले लिया और लगे उस प्राध्यापक को ट्रॉल करने. बात यहां तक नही थमी, और उस प्राध्यापक को नोकरी से निकलवा दिया.

प्राध्यापक को ट्रॉल करते करते भाजपा नेता खुद ट्रॉल होने लगे और शाम तक तो सोशल मीडिया ने हंगामा मचा दिया....


हार का डर...


जब से विपक्ष ने INDIA गठबंधन बनाया है तब से भाजपा के नेताओ में बड़ी बैचेनी दिखने लगी है. गठबंधन को घमंडिया बताने लगे है, भ्रष्टाचार का गठबंधन, परिवार वाद वगेरह नाम से संबोधित करने लगे है.


क्योंकि जो भ्रष्टाचारी भाजपा में शामिल हो जाए उनके भ्रष्टाचार दाग भाजपा के वॉशिंग मशीन में धूल जाए उनके दाग धूल जाते है. भाजपा के परिवार वाद की लिस्ट बहुत लंबी है पर वो किसी को दिखाई नही देगा क्योंकि प्रधानमंत्री मोदीजी के परिवार से और कोई राजनीति में नही है...!


अंत में...


सत्ता का नशा एक बार चख ले तो वो नशा उतरने का नाम नही लेता. फिर वो कोई भी राजनैतिक दल हो या कोई भी नेता हो. पर इन नेताओ और राजनैतिक पार्टियों को एक बात नही भूलनी चाहिए की जनता सर्वोपरि है. जब तक जनता आपके साथ है तब तक सत्ता आपके पास है. जनता ने आपको वोट देना बंद कर दिया आपकी कुर्सी छूट जायेगी.

जनता से किए गए वादों को पूरा करेंगे तभी तो जनता आपका साथ देगी. जुमलो से जनता अब ऊब चुकी है. जनता शांत है मतलब ये नही की जनता में सत्ता परिवर्तन की ताकत नहीं...!









कल्पेश रावल

पत्रकार एवं संपादक

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