ऑनलाइन एज्युकेशन, महंगाई और परेशानी
गुजरात में बच्चो और एज्युकेशन से जुड़े सभी लोगो के लिए कल से शुरू होने वाले स्कूल अच्छी और बुरी दोनों खबर लेकर आया है.
क्योंकि कोरोना अभी भी बांहे फैलाए बैठा है, तो स्कूल तो सिर्फ ऑनलाइन ही शुरू हो रहे है. परेशानी की बात ये होगी की महंगाई चरम पर है, स्कूल की फीस ऑनलाइन एजुकेशन शुरू होने से पहले ही स्कूल संचालक मांगने लगे है, अभ्यास के लिए नए बुक्स भी खरीदने पड़ेंगे, उसमे भी थोड़ी महंगाई की वजह से दामों में बढ़ोतरी हुई होगी.
लोक डाउन जैसे माहोल में व्यपारिओ का व्यापार बंद पड़ा हुआ है, तो उनके बच्चो के लिए आने वाले खर्च से परेशानी तो होनी ही है. क्योंकि जब व्यापार चलता है तो फीस, बुक्स, ड्रेस, ट्यूशन फीस, स्कूल वाहन का खर्चा सब उठाने में दिक्कत नही पड़ती.
पर जब व्यापार ही बंद पड़े है तो परेशानी बढ़ेगी है.
ऊपर से ऑनलाइन एज्युकेशन के लिए बच्चो को मोबाइल, नेट का रिचार्ज करवाना ये खर्चा तो आयेगा ही आएगा.
उसके साथ साथ जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जा रहे है वैसे वैसे उन पर नजर रखना भी तो जरूरी हो जाता है. इसलिए बच्चे जब तक ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे है, तब तक उनके साथ भी बैठना पड़ेगा.
दूसरी बात
महंगाई दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, तेल महंगा, पेट्रोल महंगा, गेस महंगा, सब्जी महंगी, दाल महंगी, और सैलेरी के साथ व्यापार बंद तो अपने परिवार का खर्चा कैसे पूरा होगा ?
सरकार को भी चाहिए की जब तक स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन दे रहा है तब तक की ही सही पर फीस नहीं लेने का आदेश कर देना चाहिए, कम से कम इतनी तो राहत मिलेगी.
पर मुझे नही लगता की सरकार ऐसा कुछ आदेश कर पाएगी.
पिछले साल भी सरकार के आदेश के बावजूद सभी स्कूलों ने अपने अपने हिसाब से फीस लिए है.
आम आदमी की कमर वैसे ही तकरीबन एक साल से ज्यादा समय से चल रहे कोरोना काल में टूट चुकी है, कभी लोक डाउन, कभी रात्रि कर्फ्यू, कभी जुर्माना, आखिर जनता जाए तो जाए कहा ?
एज्युकेशन को व्यापार बना दिया है, एज्युकेशन संस्था कमाने का साधन नही होनी चाहिए. अगर आप ही ऐसे करेंगे तो आपकी संस्था में जो विद्यार्थी पढ़कर बाहर निकलेगा तो वो क्या करेगा ? ये भी तो आपको सोचना चाहिए.
क्योंकि जब आपने अपने कर्मचारियों को लोक डाउन में स्कूल बंद था तब तक की सैलेरी नही दी तो जब आपने विद्यार्थियों को पढ़ाया नही उनकी फीस आप कैसे ले सकते है ????
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