नशा क्या है ? What is edicts ?

  नशा मुक्ति दिवस पर कुछ नए नशे की बात 

नशा मुक्ति दिवस no edicts day

दोस्तो आज नशा मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है. लोग सिर्फ शराब, कोकीन, ड्रग्स को ही नशा मानते है. पर आज में आपको कुछ अलग ही नशे से वाकिफ करवा रहा हु. जिस नशे से भी आप बरबाद हो रहे है और हो सकते है. नशा शराब में होता तो नाचती बोतल. पर ऐसा नहीं है.

क्योंकि नशा मतलब सिर्फ पीने या खाने से चढ़ने वाली चीज से आप अपने आप में ना रहे उनको नशा नही कहते पर जिस किसी भी जीवित निर्जीव वस्तुओ की आदत जब आपको चैन ना लेने दे उनको भी नशा ही कहा जाता है.

आज में ऐसे ही नशे के बारे में आपको बताने जा रहा हु. जिससे आपको पता चलेगा की आप जाने अंजाने में कितना और किस चीज का नशा कर रहे है.?!!!

सत्ता का नशा

आज कल आप देख रहे है की सत्ता का नशा हर व्यक्ति पर सर चढ़कर बोल रहा है. जब चुनाव में आपके वोट चाहिए तब नेता आपके पैर में होते है, और जब नेता चुनाव जीत कर सत्ता हासिल कर लेते है तब उसी नेता के पास आपको काम निकलवाना होता है, तब नेता के पैर आपको पकड़ने पड़ते है.

क्योंकि नेताओ को सत्ता का नशा जल्दी चढ़ जाता है, सत्ता के नशे में नेता को कुर्सी किसके वोट देने से मिली है वो नेता भूल जाते है. इसलिए कभी भी आप वोट करने जाए तो ये पहले सोचे की आप कैसे व्यक्ति को चुनकर सत्ता पर बिठा रहे है.!?

माता-पिता को बच्चों का और बच्चों को माता-पिता का नशा...!



अब आप कहेंगे कि यह कैसा नशा है ? पर यह बात सच है. क्योंकि जब कोई बच्चा छोटा होता है, तब से लेकर बच्चा चाहे कितना भी बड़ा हो जाए, माता पिता को बच्चे का नशा छूटता नहीं है.

यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा. बच्चा जब तक पढ़ाई कर रहे हैं तब तक ठीक है, पर जब उनकी शादी हो जाए और उनका घर बस जाए तब माता पिता का वही नशा बच्चों की पारिवारिक जिंदगी पर दिक्कतें पैदा करता है.

क्योंकि जब आपका बच्चा शादी करने के बाद अपनी पत्नी के साथ जीवन गुजार रहा हो तब आप पहले जैसे ही अपने बच्चे पर मालिकाना हक जताया गे तो उनकी शादीशुदा जिंदगी में दिक्कत है तो आने वाली ही है. वैसे ही बच्चा जब तक शादी नहीं होती तब तक माता पिता के सहारे और उनकी और ज्यादातर खींचा रहे वह बराबर है, पर जब उनका ब्याह हो जाता है, तब उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी पत्नी पर भी उतना ही ध्यान दे जितना वह अपने माता पिता पर दे रहा है. जिससे परिवार की खुशियां दुगनी हो जाएगी.

खानपान और स्टेटस का नशा...!




आज के नए युग में हर किसी को बाहर का खाना, अच्छा पहनना, कई जगह घूमना आदि नशा भी चढ़ा हुआ है.

अच्छी बात है इसमें कुछ बुरा नहीं है. पर यह बात तभी तक अच्छी है जब तक आपके पास धन दौलत है. बेकारी, महंगाई के जमाने में यह आपका नशा आप पर भी भारी पड़ सकता है.



क्योंकि यह सब नशे आप तभी पूरा कर सकते है जब तक आपके पास पैसे है. पर आज समय ऐसा चल रहा है की सभी लोगो को चलने की जरूरत है. सोख और नशा दोनो अलग बात है. आप हफ्ते में एक या दो बार बाहर खाना खाने जाए, महीने में एक बार बाहर घूमने जाए, दो तीन महीने में एक या दो जोड़ी नए कपड़े खरीदे ये आपके सोख में गिनती होता है.



पर आप हफ्ते में 5 दिन बाहर का खाना खाए, महीने में 15 दिन बाहर घूमने निकल जाए, और हर महीने नए कपड़े खरीदे वो आपके नशे में गिनती होता है.

समय और संजोग के साथ साथ बचत करना भी जरूरी है, समय का पहिया घूमता रहता है. आज है कल नही है तब क्या करेंगे ???? अपना स्टेटस दिखाने के लिए इतना भी नशे में नहीं खो जाना चाहिए की फिर पछताना पड़े.

गाड़ी, मकान व मनोरंजन का नशा

कई लोगों को नई नई गाड़ियां बदलते रहने का शौक होता है, पर यह तब तक सही है जब आप साल में एक बार अपनी पसंद की गाड़ियां बदला करते हैं. तब नही की आपने जब नही गाड़ी देखी नही की पुरानी गाड़ी बेचकर नई गाड़ी खरीद ले. अगरआप ऐसा करते है तो ये भी आपके नशे के लिए बहुत बुरी बात है. कई लोग बार बार अपना मोबाइल भी बदलते रहते है. जरूरत पड़ने पर ऐसा करना योग्य है पर दिखावा करने में फायदा क्या है ?


किसी को नए नए घर खरीदने का भी नशा होता है. चार या छे महीने हुए नही की थोड़ा भी पैसा मिले बिना सोचे अपना पुराना घर बेचकर नया घर खरीद लेते है. उनको लगता है की ये पुराना घर ठीक नही अब नया घर खरीदना है.

वो अपने आपको सोखिन समझते है, पर ये उनका सोख नही, नशा है, पैसे कमाने, लोगो को नया नया दिखाने का नशा.

ऐसा नशा करने में आपको, आपके परिवार को भी कभी दिक्कतें आ सकती है. इसलिए ऐसे नशे से बचकर रहिए.







Kalpesh Raval

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