#कोरोना से डर नहीं लगता साहब डर लगता है मास्क ना पहनने पर जुर्माने से
#कोरोना से डर नहीं लगता साहब क्योंकि आम आदमी कोरोना से मरे या भुखमरी से मरे क्या फर्क पड़ता है ? आम आदमी को डर लगता है मास्क न पहनने पर लगने वाले जुर्माने से. क्योंकि कोरोना काल में लगने वाले लॉक डाउन की वजह से आम आदमी का व्यापार चौपट हो गया है. बड़े-बड़े लोगों को तो फिर भी सरकार की ओर से टैक्स में भी राहत मिल जाती है पर आम आदमी जाए तो कहां जाए ? बीच रास्ते पर छोटे-छोटे ठेले लगाने वाले व्यापारी आज व्यापार नहीं कर पा रहे क्योंकि उनको कोरोना के नियम भी पालने है और जुर्माने से भी बचना है.
सड़क पर व्यापार करने वाला व्यापारी बड़ी मुश्किल से अपना घर चला पाता था पर कोरोना ने उसके व्यापार पर ग्रहण लगा दिया है. सरकार की ओर से मिलने वाले राशन से उनका घर नहीं चलने वाला. घर चलाने के लिए राजस्थान के अलावा और भी कई चीजें चाहिए जो सरकार नहीं दे पा रही. बेरोजगारी, महामारी, मंदी की वजह से आम आदमी की कमर टूट चुकी है. आज हालात ऐसे हैं कि लोगों को घर चलाने के लिए भी लोन लेना पड़े पर आम आदमी को लोन देगा कौन ? लोन अगर मिल भी जाए तो हम आदमी लोन चुका है क्या कैसे ? क्योंकि पैसे खर्च तो हो जाएंगे पर पैसे वापस चुकाने के लिए कमाई कैसे होगी ? ये भी तो पता नही...!आम आदमी ने जो धीरे-धीरे करके पैसे बचा कर रखे थे वह तो लॉक डाउन की वजह से खर्च हो गए. अब हालत यह है कि आम आदमी अपने घर पर आने वाले सामाजिक प्रसंग भी नही कर पा रहे. पेट्रोल डीजल के अलावा सभी खाने पीने की चीजों के दाम भी दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है. रोज ब रोज की जरूरत रसोई गैस के दामों में भी हर समय बढ़ोतरी ही की जा रही है. आम आदमी अब कोरोना से मरे या भुखमरी से मरे उनकी चिंता किसी को नही है.वेक्सिन लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन नही हो पा रहा और सरकार नए नए नियम बना रही है.
जैसे-जैसे अनलॉक हो रहा है वैसे वैसे सरकार की ओर से व्यापारी पर नए नए नियम थोपे जा रहे हैं. गुजरात में अभी एक ऐसा नया नियम आने वाला है की व्यापारी ने अगर वेक्सिन नही लगवाई तो उनका व्यापार खोलने नहीं दिया जाएगा. जब व्यापारी को वैक्सीन मिल ही नहीं रही तो व्यापारी वैक्सीन लगवाएगा कहां ? माना कि सरकार अपनी तरफ से वैक्सीन जनता तक पहुंचे ऐसी पूरी कोशिश कर रही है पर जब तक वैक्सीन नहीं आएगी तब तक छोटे छोटे व्यापारियों का क्या होगा ? यह किसी ने सोचा है क्या ? सरकार जनता की माई बाप होती है जनता का हित सोचने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही होती है. अगर सरकार छोटे छोटे व्यापारियों और आम आदमी की नहीं सोचेगा तो सोचिए आने वाले दिनों में क्या हालात हो सकते हैं ???
सरकार को अगर जनता से नियम पालन करवाना है तो सरकार की ओर से भी पूरी तैयारी होनी चाहिए क्या की जनता में से कोई आवाज़ उठाएं या विपक्ष भी आवाज उठाए तो सरकार खुद का भी बचाव कर सकें.
हर वक्त चुनावी मोड़ में रहने वाली सरकार आज वेक्सिन मोड़ पर क्यो नही नजर आ रही ???
चुनाव के समय घर घर जाकर अपना प्रचार करने वाली सरकार #कोरोना के टिके जनता के घर घर जाकर क्यो नही लगा पा रही ?? पोलियो ड्रॉप्स घर घर जाकर दिए जा सकते है तो #कोरोना की वेक्सिन क्यो नही ? दूसरी लहर फीकी पड़ने के बाद अब तीसरी लहर के भी आगाज नजर आ रहे है, delta variant तो भारत में शुरू हो ही चुका है. फिर इतनी लापरवाही कौन कर रहा है ? पहली वैक्सीन आने के बाद कंपनियों और सरकार की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे कि हम हर दिन बड़ी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध करवाएंगे तो आज कंपनियां झूठी साबित हो रही है या सरकार की कोशिश नाकाम हो रही है. यह भी जनता को बताना चाहिए ताकि सरकार पर जनता का विश्वास बना रहे हैं. हर वक्त सत्ता के बारे में सोचने की वजह महामारी में जनता के हित भी सोचने की जरूरत रहती है. जब सरकार जनता का हित नहीं सोचेगी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता सरकार का हित कैसे सोचेगी ? मन पर लगे घाव भूलाए जा सकते हैं पर दिल पर लगे घाव कभी नही भुलाए जा सकते.
वेक्सिन लगवाने के लिए कोई स्पष्ट नीति तैयार करने की जरूरत
आज देश में कई तरह की वैक्सीन उपलब्ध तो है तो फिर जनता वेक्सिन के लिए मारी मारी क्यो फिर रही है ? गलती किसकी है ? सरकार को चाहिए कि कंपनियों के किए गए दावे पर कंपनियों को कहें अपने गांव पर खरे उतरे और जनता को वैक्सीन तुरंत उपलब्ध करवाएं. हर शहर में आज कई ऐसे वैक्सीन सेंटर है यहां पर ताला लगा हुआ है. अगर ऐसा ही चला तो देश की 135 करोड़ से ज्यादा जनता को वैक्सीन कब तक लगेगी यह भी सवालिया निशान है...!
Kalpesh Raval
बहुत अच्छे से मुद्दे को उठाया है
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