महामारी, मंदी और महंगाई से जनता हुई त्रस्त, सरकार है चुनावी प्रचार में मस्त
कोरोना महामारी के चलते भारत में कई परिवारों ने अपने परिवार के साथियों को खो दिया है. पहली वेव की बात करे तो लोक डाउन के चलते पूरा देश बंद हो गया था और अचानक लोक डाउन का एलान करने से बहुत से प्रवासी मजदूर कई जगह फस गए थे. जिनको अपने वतन पहचाने तक की व्यवस्था सरकार द्वारा नही की गई थी. जिसकी वजह से प्रवासी मजदूर अपने आप वतन जाने के लिए कोई साइकल, तो कोई बाइक, कोई ट्रक तो कोई पैदल तक चल दिया था.
हुआ क्या ? कई मजदूरों ने अपने वतन पहुंचने से लहले ही बीच रास्ते में दम तोड दिया. किसी ने एक्सीडेंट की वजह से तो किसी ने बीमारी की वजह से. पर सरकार ने उन लोगो के लिए क्या किया कुछ नही.
दूसरी लहर उनसे भी घातक हुई पहले लोक डाउन में जिनके व्यापार बंद पड़े थे उन पर दोहरी मार का असर हुआ, व्यापार चौपट हो गया, बचाए हुए पैसे भी खत्म हो गए. आम आदमी अगर करे तो क्या करे ? सरकार ने घर के लिए राशन तो दिया पर उस राशन से घर थोड़े ही चने वाला था ? ऊपर से बैंक के ईएमआई, घर का किराया, रसोई गैस, खाने के लिए तेल, मसाले आदि कहा से लाते ? घर के परिवार को दो साल बिना कमाई के पालने की जिम्मेदारी की वजह से आमदनी की कमर टूट चुकी है.
मंदी से परेशान छोटे और बड़े व्यापारी
कोरोना की महामारी के बीच लोक डाउन की वजह से छोटा और बड़ा व्यापारी भी परेशान हो चुका है. क्योंकि कोरोना के दर्द की वजह से आम आदमी बाहर निकलने से डरता था और उनके पास बचाए हुए पैसे भी खत्म हो चुके थे तो खरीदी कहां से करता ? बड़े व्यापारियों को तो इतना फर्क नहीं पड़ा जितना छोटे और मध्यम व्यापारियों को पड़ा है. बड़े व्यापारी तो फिर भी बैंक लोन और अपनी बड़ी बचत से अपना काम धंधा बचा पाए हैं पर छोटे और मध्यम व्यापारियों का व्यापार तो बिल्कुल ठप हो गया है. छोटे व्यापारियों के पास सिर्फ सामान्य और मध्यम वर्ग के लोग ही खरीदी करने आते हैं पर आज उन लोगो के पास इतना पैसा भी नहीं बचा की वो अपने घर परिवार के लिए कुछ खरीद कर पाए. क्योंकि रोजगार बंद हो चुका था और बचत भी खत्म हो चुकी थी. छोटा व्यापारी ग्राहक को उधार भी कब तक देता ? जब तक उनके पास पैसे है, पर जब व्यापारी के पास ही मंदी में व्यापार चलना मुश्किल हो रहा हो तो वो ग्राहक को उधार कैसे दे पाएगा ? सरकार की तरफ से राहत पैकेज का एलान भी दो बार हो चुका है, पर उसका मार्केट में कोई असर नही दिख रहा. सरकार अगर छोटे और मध्यम व्यापारियों को ब्याज में रियायत भी देती है तो आज कौन सी बैंक इतनी जल्दी लोन दे देती है.
क्योंकि छोटे और मध्यम व्यापारियों का बैंक भी भरोसा नही करता. सरकार अगर हर एक परिवार के बैंक एकाउंट में जैसे गैस की सब्सिडी डाल रही थी, वैसे ही हर परिवार के खाते में कुछ पैसा जमा करवाती तो आम आदमी को अपना परिवार चलाने में दिक्कत नही होती और उनके खरीद करने से छोटे और मध्यम व्यापारियों का व्यापार भी चलता, पैसा मार्केट में आने से इकोनॉमी की रफ्तार में भी तेजी आ सकती थी. पर इस पर सरकार ने कोई ध्यान नही दिया. आज देश के हर वर्ग के लोग परेशान है.
महंगाई डायन खाए जात है
यूपीए की सरकार में महंगाई के चलते विरोध पक्ष एनडीए द्वारा एक गाना बनाया गया था. " महंगाई डायन खाय जात है". और अन्ना हजारे ने यूपीए सरकार के खिलाफ महंगाई और लोकपाल बनाने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था. जिस पर गोदी मीडिया ने ईडियट बॉक्स द्वारा घर घर जाकर इतना झूठ फैलाया की यूपीए की सरकार 2014 में हार गई और फिर बनी मोदी सरकार.
बहुत हुई महंगाई की मार
अब तो बस करो सरकार
2014 से पहले भाजपा ने नारा दिया था बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार. उस समय बढ़ती हुई महंगाई को देखकर जनता ने कांग्रेस को हराकर भाजपा को वोट दिया ताकि महंगाई कम हो जाए और भाजपा के वादे जैसे अच्छे दिन आ जाए. पर आज वही जानता महंगाई से त्रस्त है. अन्ना हजारे के साथ आंदोलन में बैठने वाले कई लोग नेता बन गए, कई मंत्री बन गए तो मुख्यमंत्री भी बन गए. पर जनता को क्या मिला ? महंगाई...!
आज जनता भी कह रही है 2014 से पहले डायन लगने वाली महंगाई, अब डार्लिंग बन गई है, इसलिए तो भाजपा सरकार में हर दिन महंगाई बढ़ रही है.
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी के दाम आसमान छू रहे है
बढ़ती महंगाई में पहले बात करें पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और सीएनजी की तो आज उनके दाम 70 साल से सबसे अधिक ऊंचाई पर आ चुके हैं. सरकार ने पहले रसोई गैस के सिलिंडर पर सब्सिडी देना शुरू किया और मुफ्त कनेक्शन भी देना शुरू कर दिया.
फिर हुआ क्या ? धीरे धीरे सब्सिडी खत्म करने लगे और दाम बढ़ते चले गए. आज हालात ये है, जिन लोगो ने मुफ्त मानकर कनेक्शन लिए थे उनमें से कई लोगो ने अपना सिलिंडर रिफिल करवाना बंद कर दिया है, और फिर से पहले की तरह रसोई बनाने लगे है.
पेट्रोल - डीजल के दाम में हर एक या दूसरे दिन दाम बढ़ते रहते है, इस पर सवाल करे तो साकार कहती है पेट्रोल और डीजल के दाम को कम करना हमारे हाथ में नही है. पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी की वजह से सुई से लेकर संसद तक महंगाई बढ़ जाती है, क्योंकि किसी भी प्रोडक्ट को आप प्रोडक्शन सेंटर से बिक्री की जगह तक पहुंचाएंगे तो आपको पेट्रोल, डीजल ये फिर सीएनजी का उपयोग तो करना ही पड़ेगा. इसके बिना तो आपकी प्रोडक्ट किसी भी जगह नहीं पहुंच पाएगी. रोजबरोज में उपयोग में आने वाली सभी चीजों के दाम बढ़ेंगे ही.
कोरोना महामारी के बाद कई दवाइयों के दाम भी बढ़े है, कोरोना में लोगो ने इंजेक्शन, ऑक्सीजन और दवाई भी कालाबाजारी से खरीद की. क्योंकि साहब ने कहा था "जान है तो जहां है." इसी आस में आम आदमी अपनी बचाई हुई पूरी बचत को खर्च कर गया पर अब क्या ? ना कोरोना खत्म हो रहा है, ना व्यापार सही तरह खुल रहा है, और ना ही महंगाई कम होने का नाम ले रही है.
आने वाले समय की सोच कर अभी से गभराहट महसूस होने लगी है, क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर भी तो आहट दे चुकी है. अब अगर तीसरी लहर आएगी तो महामारी से मरने वालो के साथ साथ महंगाई से मरने वालो की तादात भी बढ़ने वाली है. आम आदमी के पास अब कुछ बचा नही है, सिवाय कानून पालन के क्योंकि सरकार के नियमो का पालन न करे तो जुर्माना भरना पड़ेगा इसलिए सोशल डिस्टेंस, मास्क, सेनिटाईझर, 50% स्टाफ और ग्राहक के नियम ऊपर से रात्रि कर्फ्यू की वजह से व्यापार में सरकार की और से लगी टाइमिंग का पालन भी तो करना है. तभी तो जुर्माने से बचे रहेंगे...!
खाने के तेल में लगी हुई है आग...!
पेट्रोल, डीजल, के साथ साथ खाने के तेल के दामों में भी आग लगी हुई है. जिस तेल के दाम कभी 70 साल में इतने नही हुए उतने इस साल बाद चुके है. सरकार के प्रवक्ता टीवी पर बैठकर बताते रहते है की इसकी वजह भी कोरोना ही है, क्योंकि जिस देश से हम खाने का तेल इंपोर्ट करते है उस देश में भी कोरोना फेले होने की वजह से तेल आ नही रहा.
अरे भाई आप देश की जनता को और कितना मूर्ख बनाओगे ? वो भी महामारी की आड़ में ?!
ऐसा भी नही की हमारे देश में किसी भी खाद्य तेल का उत्पादन नही हो रहा. फिर हमारे देश मे उत्पादन हो रहे तेल के दाम क्यो बढ़ रहे है ?
मुझे तो लग रहा है चुनाव में फंड देने वाले ऑयल मिलो के मालिको को कमाने के लिए खुल्ला छोड़ दिया गया है. सरकार आंख बंद करके देख रही है. अगर ऐसा नही होता तो खाद्य तेलों के दाम इतने बेकाबू क्यो होते ???
Kalpesh Raval
Journalist
सरकार ने पूरी कमर कस ली है आम जनता को कंगाल करने की... आने वाले समय में मध्यम वर्गीय और छोटे दुकानदारों का उद्योग पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, सब कुछ कारपोरेट घरानों के अधीन हो जाएगा, और धीरे-धीरे भारत की 99% जनता गुलामी का जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाएगी... सरकार एक तरफा सारी कार्यवाही कर रही है और झूठे भाषणों में अपनी पीठ थपथपा रही है
जवाब देंहटाएंNice 👍
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