कोरोना मंत्रियों की कुर्सी खा गया ??

 कोरोना ने कई मंत्रियों की कुर्सी छीन ली...!?

भारत में तकरीबन 2 साल से चल रहे कोरोना महामारी में कोई मंत्रियों की कुर्सी छीन लेने की नौबत आ चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी जी अपने मुंह से नहीं कह रहे पर उन्होंने भी मान लिया है कि मंत्रियों की लापरवाही की वजह से विदेशों में भी भारत की बदनामी हुई है.

इसलिए तो ना चाहते हुए भी मंत्रिमंडल के विस्तरण के नाम पर मंत्रियों को हटाना पड़ा.

आरोग्य मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा...!

आरोग्य मंत्री हर्षवर्धन जी को इस्तीफा देना पड़ा इसकी वजह यह भी हो सकती है कि कोरोना काल में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, मरीजों के लिए बेड की कमी, वेक्सिन की कमी आदि चीजों की कमियों के चलते भारत का आरोग्य विभाग खुद आईसीयू में आ गया था. जब कभी मंत्री जी से सवाल करो तो उल्टा ही जवाब देते रहते थे एक वजह ये भी हो सकती है मंत्रीजी के इस्तीफे की. मंत्रीजी तो यहां तक जुमले फेक रहे थे की डार्क चॉकलेट खाइए और कोरोना से बचे रहिए.

दूसरी मंत्री श्रम और रोजगार मंत्री


श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार जी जिनको भारत की आधी आबादी नही पहचानती होगी क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी काम नही किया जिसकी वजह से जनता उनको पहचानती हो. हा एक बात जरूर है की कोरोना फैलने के बाद रोजगार की जो हालत देश के बड़े हिस्सो मे हुई है उनकी जिम्मेदारी का ठीकरा तो मंत्रीजी पर ही फूटना था.

देश में करोड़ों लोगो के रोजगार चले गए है, व्यापारी व्यापार से वंचित हो चुके है. नए रोजगार खोलने की कोई हिम्मत नही जुटा पा रहा. कोरोना के बढ़ने के बाद श्रमिको को सही सलामत अपने वतन न पहुंचाने पर भी श्रम मंत्री की बहुत किरकिरी हुई थी. प्रवासी मजदूर रास्ते पर मरे जा रहे थे, फिर भी मंत्रीजी द्वारा उन लोगो के लिए कुछ इंतजाम नहीं किया गया था. शायद इसी बहाने से और अपनी छबि खराब होने से बचाने के लिए मोदीजी ने संतोष गंगवार जी की कुर्सी छीन ली. ऐसा लोगो मे चर्चा का विषय बना हुआ है.

तीसरे शिक्षा मंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा..!


भारत के शिक्षा मंत्री रमेश पोखराल को भी इस्तीफा देना पड़ा. किसी भी देश का मुल्लांकन शिक्षा और आरोग्य से किया जाता है. अपने देश में दोनों की हालत खस्ता है. आए दिन स्टूडेंट का आंदोलन होता रहता है. एक्जाम होते नही, होते है तो एक्जाम से पहले ही पेपर फूटने की खबर आ जाति है. कोरोना काल में स्कूल बंद होने के बावजूद संचालकों द्वारा 75% तक फीस वसूली गई, फिर भी मंत्रीजी या उनके मंत्रालय द्वारा जनता के हित में कोई फेसला लेने की तसदी नही ली. जिससे महंगाई की वजह से वालियों के बजट बिगड़ गए और सरकार की नाकामी का शोर चारो और उठने लगा. पर मोदीजी अपने ऊपर तो ये इल्जाम लेने वाले नही थे, इसलिए मंत्रीजी की बलि चढ़ गई.

कानून मंत्री रविशंकर जी को अपना पद छोड़ना पड़ा..!


कुछ दिनों से कानून मंत्री रविशंकर जी बड़े चर्चे में आए थे उनकी वजह टि्वटर थी. जब से भाजपाई नेताओं के खिलाफ ट्विटर ने टूल किट मामले में ट्वीट ब्लॉक कर दिए. तब से रवि शंकर जी ट्विटर के पीछे पड़ गए थे. ट्विटर पर भी नए कानून के तहत कहीं जगह पर केस भी दाखिल हुआ है. जनता का भी रोष बढ़ा हुआ है क्योंकि कोरोनाकाल में सोशल डिस्टेंस, मास्क ना पहेन्ना, कर्फ्यू में बाहर निकलना आदि जनता पर नियम थोपे जाने के बाद तंत्र द्वारा येनकेन प्रकार से जुर्माना वसूल किए जाने से जनता में भाजपा के नरेंद्र मोदी की सरकार से काफी विरोध उठ रहा है. जनता डर की वजह से बोल नही पा रही.


सोशल मीडिया पर मंत्रियों के बदलने पर मजाकिया पोस्ट भी होने लगे...!?

कल जैसे जैसे नए नए मंत्रियों की लिस्ट आने लगी और पुराने मंत्रियों के इस्तीफे आने लगे तब सोशल मीडिया पर जैसे मजाकिया मूड बना हुआ था. 

लोगो ने पोस्ट करना शुरू कर दिया था "बदलना इंजिन था और साहब ने डिब्बे बदल दिए"

मंत्रियों के बदलने से सुशासन नही आयेगा, नीतियों के बदलने से आएगा.

इसी तरह से पूरे दिन शोर चलता रहा.

2 साल में कोरोना की वजह से देश की जनता को जो परेशानी हुई है, उसकी जिम्मेदारी मोदी जी अपने सर पर तो ले नहीं सकते. इसलिए मंत्रियों का बदला जाना भी जरूरी था, ताकी मोदी जी कह सके कि मंत्रियों की नाकामी की वजह से जनता परेशान हुई इसलिए हमने उनको बदल दिया. पर देश की जनता अब पहले जैसी नहीं रही, जनता सब जानती है कौन सच बोल रहा है, कौन जूठ बोल रहा है. क्या सच है और क्या जूठ है.

मंत्रिमंडल के विस्तार की जरूरत क्यो पड़ गई ???

नरेंद्र मोदी जी ने पहले सूत्र दिया था "मिनिमन गर्वमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस" यानी कम मंत्री और काम ज्यादा. पर बंगाल के बाद धीरे धीरे देश में साहब की लहर फीकी पड़ती हुई देखकर साहब ने अपने सूत्र को ही जुमला बना दिया और मंत्रियों की फौज खड़ी कर दी.

क्योंकि आने वाले दिनों में उत्तरप्रदेश, बिहार गुजरात के अलावा कई राज्यो में विधानसभा चुनाव आने वाले है, सत्ता जाने के डर से जातिवाद फेक्टर को देखते हुए नए लोगो को मंत्रिमंडल में शामिल करना साहब की जरूरत नही पर मजबूरी बन गई थी.







Kalpesh Raval

Journalist

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही शानदार ब्लॉग लिखा आपने कल्पेश भाई और हमें आपकी मित्रता पर फक्र है... इस ब्लॉग को किसी मैगजीन में यह मुझे पूरा चाहिए कोलकाता के एक लोकल अखबार में भेजने के लिए तो कृपया मुझे 8902752626 भेज दे और मैं कोशिश करता हूं उसमें आप क्या यह पब्लिश कराने की

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  2. क्या बात है कल्पेश जी! आप जैसा देशभक्त तथा ज़मीनसे राजनीतिसे जुड़ी पत्रकार ही सत्यको उजागर कर सकते हैं!
    बहुत बहुत साधुवाद🌹🌹🌹🙏

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  3. गुरू, बढिया विश्लेषण किया 👌

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