उड़ीसा के पूरी शहर में जगन्नाथ मंदिर के चमत्कार और रहस्य

 ओडिशा के पूरी शहर का जगन्नाथ मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। प्रस्तुत है आपके लिए कुछ आश्चर्यजनक चर्चित तथ्य- 

हिंदू धर्म के मुख्य चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका उसमे जगन्नाथ के बारे में जानने योग्य जानकारी कर चमत्कार से आपको परिचित करवाने के कोशिश की है.

1. मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ये क्यों हो रहा है ये अभी तक कोई समझ नही पाया है.

2. मंदिर की ध्वजा रोज बदली जाति है, जिस दिन मंदिर की ध्वजा न बदली तो समझ लीजिए मंदिर आने वाले 18 साल बंद हो जायेगा. ऐसी मान्यता है.

3. पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।


4. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।


5. मंदिर के ऊपर आज तक कोई पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पाएंगे। ये भी एक चमत्कार ही है.


6. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है।


7. भगवान जगन्नाथ का मंदिर समंदर के किनारे स्थापित है, समंदर की उछलती लहरें और उनकी आवाजें सबको सुनाई देती है पर जैसे ही आप मंदिर के प्रवेश द्वार (सिंह द्वार) के अंदर आपका एक पाव रखेंगे अचानक समंदर की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाएगी. और वापस आते समय जैसे ही आप मंदिर के बाहर पैर रखेंगे तुरंत ही समंदर की लहरों की आवाज आपको सुनाई देने लगेगी यह रहस्य का भी आज तक किसी को पता नहीं चल पाया.

8. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, लाखों लोगों तक को खिला सकते हैं। मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है। मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। विशाल रसोईघर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोइए एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एकसाथ काम करते हैं। सारा खाना मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है। हमारे पूर्वज कितने बड़े इंजीनियर रहे होंगे यह इस एक मंदिर के उदाहरण से समझा जा सकता है।


9. प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है।


10. मंदिर का क्षेत्रफल 4 लाख वर्गफुट में है. मंदिर की ऊंचाई 214 फुट है।


11. भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई तब उनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया किंतु उनका ह्रदय अभी भी चल रहा था. जिनको अभी लकड़ी की मूर्ति में मंदिर में श्री कृष्णा, उनके भाई बलभद्र  और बहन सुभद्रा की लकड़ी की मूर्ति है. किसी भी मंदिर में भगवान की मूर्ति लकड़ी की नहीं होती पर यहां है. और 12 साल में मूर्ति को बदला जाता है. तब मंदिर के चारों और सीआरपीएफ तैनात किए जाते है. मंदिर के अंदर मूर्ति बदलते वक्त पुजारियों के अलावा किसी को भी अंदर प्रवेश करने दिया नहीं जाता. पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है और हाथ में मोजे पहनाए जाते हैं. मूर्ति ( ब्रह्म पदार्थ) बदलते वक्त अगर कोई भगवान श्री कृष्ण का ब्रदर देख ले तो उनके शरीर में विस्फोट हो जाए और शरीर के टुकड़े टुकड़े हो जाए. ऐसी भी मान्यता है. 

12. वर्ष 1340 से लेकर 1699 तक मंदिर पर मुगलों द्वारा मंदिर को नष्ट करने हेतु और मंदिर को लूटने हेतु हमला किया गया.

13. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा इस मंदिर के मुख्य देव है. उनकी मूर्तिया एक रत्न मन्नित भाषाल चबूतरे पर गर्भगृह में स्थापित है. इतिहास के अनुसार इस मूर्तियों की अर्चना मंदिर निर्माण से पहले कई समय से की जा रही है संभावित है कि प्राचीन काल में भी इन मूर्तियों को पूजित किया जाता था.

भगवान जगन्नाथ की महिमा निराली है.

भगवान जगन्नाथ सब पर अपनी कृपा बनाए रखे.

Kalpesh Raval

Journalist


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