मन की बात छोड़कर कब करेंगे जन की बात ?
मन की बात छोड़कर कब करेंगे जन की बात ?
बच्चो को स्कूल भेजने की फीस, बुजुर्गो की दवाई का खर्च, बैंको के ईएमआई का खर्च. घर में महंगाई की वजह से घर का बजट भी बिगड़ा हुआ है.
हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था, इसके हिसाब से तो 14 करोड़ रोजगार होने चाहिए. बेरोजगारी की तलवार दो सालो में इतनी चली है, की नौकरी चली गई, तनख्वाह कट गई. आम आदमी करे तो क्या करे ? सरकार का आंकलन ti ऐसा है की 1 हफ्ते में 1 घंटे का काम मिल गया तो भी आप बेरोजगार नहीं है.
सरकार के आंकड़ों से तो दिख रहा है कि बेरोजगारी दर देश में घट रहा है पर वास्तविकता क्या है ? सिर्फ जुलाई की बात करे तो 32 लाख लोगो ने अपनी नोकरी गवा दी है.
छोटे छोटे व्यापारियों की बात करे तो साइड जुलाई में 24 लाख लोगो के व्यापार बंद हो चुके है, जिसमे चाय, पान, रेहड़ी जैसे छोटे व्यापारी है.
युवा बेरोजगार रहेगा तो देश तरक्की कैसे करेगा ? सिर्फ सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारी घटा देने से फायदा क्या होगा ?
जुलाई में बेरोजगारी दर शहरी एरिया में 8.30 परसेंट तक पहुंच गई है.
ग्रामीण इलाको में 6.34% तक.
बेरोजगारी को लेकर आंकड़ों की मायाजाल तो बिछाई जा रही है पर सिर्फ आंकड़ों से काम नहीं चलने वाला.
जुलाई से सितंबर 2020 तक बेरोजगार होने वाले सबसे ज्यादा 15 से 29 साल की आयु वाले लोग थे.
कुछ ही दिनों में सावन का महीना आने वाला है. बाजार में रौनक नही दिख रही. इसको देखकर पता चलता है कि आज जो व्यापारी अपना व्यापार खोल कर बैठते हैं वह व्यापारी सुबह से लेकर शाम तक एक भी ग्राहक नहीं आने की वजह से परेशान हो रहे हैं फिर वह अपने कर्मचारियों को तनख्वाह कैसे देगा ?
जब व्यापारी के पास व्यापार ही नही होगा तो व्यापारी क्या करेगा ?
जहा जहा रोजगार की व्यवस्था आप कर सकते है और जहा जहा रोजगार के पद खाली पड़े वहा भी सरकार की और से भर्ती नही की जा रही.
नए रोजगार की छोड़िए, जहा जहा सरकारी पद पर जगह खाली पड़ी है, वहा ही भर्ती करना शुरू कर देंगे तो कई लाख बेरोजगारों को रोजगार मिल जायेगा.
सरकारी कार्यवाही से डरते हुए आम आदमी कुछ बोल नहीं रहा तो उनका मतलब यह नहीं कि आम आदमी परेशान नहीं है. कंपनियों का मुनाफा बढ़ता जा रहा है और गरीब आदमी और गरीब होता जा रहा है. 5 किलो गेहूं और चावल से किसी का घर नहीं चलने वाला साहब, उनको पकाने के लिए आप जो रसोई गैस दे रहे हैं उसमें भी महंगाई की मार पड़ रही है. मुफ्त राशन के नाम पर कब तक कब तक प्रोपगेंडा चलाते रहेंगे.?
रोजगार पैदा करने से या रोजगार दे देने से देश की कई परेशानियां दूर हो सकती है. हमारा देश युवाओं का देश है, युवा अगर बेरोजगार रहेगा तो बड़ी दिक्कतें भी पैदा हो सकती है.
कब तक आप यूवाओ को पान, पकौड़े, पंचर की दुकानें खोलने की सलाह देते रहेंगे ? पढ़ा लिखे यूवाओ को रोजगार नही मिलेगा तो युवा मानसिक तनाव में आ जाता है.
किसी भी मध्यम वर्ग या सामान्य वर्ग के माता-पिता ने अपने बच्चों की पढ़ाई पर अपना पेट काटकर खर्च किया होता है, इतना करने के बाद भी उस बेटे या बेटी को रोजगार नही मिलेगा तो उनके माता पिता की तकलीफ के बारे में कभी आपने सोचा है ?
घर में एक ही बच्चा, बड़ी मेहनत करके उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया हो, और जब उनकी पढ़ाई पूरी हो जाए तो उनको रोजगार के लिए आंदोलन में उतरना पड़े, और आंदोलन कर रहे यूवाओ को पुलिस पकड़कर जेल में डाल दे, उन यूवाओ के सपनो का क्या जो उस युवा ने देखे है, उनके बुजुर्ग मां बापने देखे है.
माना कि सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है इसलिए चुनावी जुमले में बांटी हुई रेवड़ियां समेट नही सकते. पर कुछ हद तक तो सफल हो सकते है की नही ?
आज का हर युवा बेरोजगार है और बेरोजगारी से परेशान होकर अपना मानसिक संतुलन खो रहा है. अगर युवाओं के रोजगार पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाला समय यूवाओ के परिवार और देश के शासकों के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है.
Kalpesh Raval
Journalist
बहुत अच्छी टिप्पणी की है सर आपने
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत बढ़िया लिखा आपने सर
जवाब देंहटाएंयथार्थ
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