जब देश सुरक्षित हाथों में है, तो उस हाथ वालो को डर क्यों ???
जब देश सुरक्षित हाथों में है, तो उस हाथ वालो को डर क्यों ???
जी हा, भाजपा के हर नेता एक ही बात करते है की देश सुरक्षित हाथों में है. हाला की हालात सब को पता है, इसलिए तो प्रधानमंत्रीजी ने कल डर को महसूस किया होगा...!?
कल पंजाब में प्रधानमंत्रीजी की रैली में जो कुछ भी हुआ वो पंजाब और पूरे भारत देश के लिए शर्म की बात है. देश के प्रमुख व्यक्ति जब किसी राज्य में आ रहे हो तब राज्य की भी जिम्मेदारी है की उनकी सुरक्षा का ख्याल रखा जाए. पर जो कुछ हुआ उसके बाद प्रधानमंत्रीजी ने जो स्टेटमेंट दिया की "आपके मुख्यमंत्री को Thanks कहना की में जिंदा एयर पोर्ट पहुंच गया हूं". वो बड़े शर्म की बात है.
वाक्या क्या हुआ उससे आप सब परिचित है इसलिए ज्यादा नहीं कहूंगा.
दोपहर को प्रधानमंत्रीजी की रैली थी, रैली स्थल पर तकरीबन 70000 व्यक्तियो को बैठने के लिए व्यवस्था की गई थी, पर रैली शुरू होने तक 700 लोग भी जमा नही हुए थे, शायद इस बात का अंदाजा प्रधानमंत्रीजी को हो गया था, इसलिए भी रैली में जाकर अपनी किरकिरी न हो उससे बचने के लिए रैली शुरू हो उससे पहले ही रैली कैंसल करने का एलान कर दिया.
बात अब शुरू होती है, एयर पोर्ट से सभा स्थल पर प्रधानमंत्री को हेलीकॉप्टर में जाना था, पर मौसम खराब होने से सभा स्थल पर जाने के लिए बाय रोड कार्यक्रम तय हुआ, उसी बीच सभा स्थल के कुछ दूरी पर ओवरब्रिज पर कुछ किसान आंदोलन कर रहे थे, उसने रास्ता रोककर रखा था. प्रधानमंत्री जी का काफिला जैसे ही ओवरब्रिज पर पहुंचा किसानों ने नारे लगाने शुरू कर दिए, पर उसी बीच एक वीडियो भी सोशल मीडिया के वायरल हो रहा है, जहा प्रधानमंत्री जी का काफिला रोका गया उस भिड़ में भाजपा का झंडा फेलाते हुए कुछ लोग दिखाई दे रहे थे.
किसानो के हल्ला बोल से प्रधानमंत्री जी के काफिले को 20 मिनिट तक ओवरब्रिज पर ही रुकना पड़ा और वही से रेली केंसल करने la एलान करके प्रधानमंत्री का काफिला वापस एयर पोर्ट की और निकल पड़ा.
इसी बीच जैसे ही प्रधानमंत्रीजी ने एयरपोर्ट पहुंचकर पंजाब के अधिकारियों को कहा की आपके मुख्यमंत्री को Thanks कहना की में सही सलामत एयरपोर्ट पहुंच चुका हु.
उसके बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया, भाजपा ने कहा की प्रधानमंत्री जी की जान लेने की कोशिश कोंग्रेस वालो ने की, कोंग्रेस वालो ने कहा की सुरक्षा की जिमेदारी एसपीजी संभाल रही थी, साथ में पंजाब पोलिस भी थी.
फिर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी का बयान आया की हमारी सरकार से कोई गलती नही हुई, हम प्रधानमत्रीजी का सम्मान करते है, कार्यक्रम के बदलाव की वजह से सब कुछ हुआ है, और एसपीजी को भी पता था की ओवरब्रिज पर किसान धरना दे रहे है.
सवाल यह उठता है कि एसपी जी को पता होने के बावजूद भी इसी रास्ते को एसपीजी ने प्रधानमंत्री जी के लिए क्यों चुना ? पूरे भारत देश में सबसे ज्यादा सिक्योरिटी प्रधानमंत्री की है फिर भी उनको जान का खतरा कैसे महसूस हुआ ? मंच के सामने जब तक भिड़ ना हो तब तक साहब सभा में तक नही जाते तो आखिर इतने आंदोलनकारियों से डर क्यों लगा ?
आंदोलनकारियों का काफिला साहब की गाड़ियों तक कैसे पहुंचा ? उनको साहब की गाड़ी तक पहुंचने की इजाजत किसने दी ? माना की सुरक्षा में चूक हुई है, पर किस्से ?
प्रधानमंत्री जी की जान देशवासियों के लिए बहुत कीमती होती है, इसलिए तो उनको देश की सबसे ज्यादा और मजबूत सिक्योरिटी ने घेर कर सुरक्षित रखा होता है.
मनमोहन सिंह पीएम रहते हुए JNU गए थे। छात्रों ने उनके क़ाफ़िले को घेर लिया और काले झंडे दिखाए। मंच से छात्रों को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा था, मैं आप से असहमत होते हुए भी आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा करूँगा। किसी भी छात्र के लिए कोई कार्यवाही नहीं हुई थी.
जब खुद प्रधानमंत्री की जान को खतरा होने की बार भाजपाई कहते है तो ये समझ नही आता की आम आदमी का क्या ? उसके पास तो न सिक्योरिटी होती हे, और ना किसी का सहारा..
कल तो लगता है साहब ने सेल्फी लेने की आदत की तरह खुद की ही ले ली है.
इस घटना को सिर्फ भारत नही पर पूरे विश्व में डंका बजा दिया है की भारत में भारत के प्रधानमंत्री तक सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता कैसे होगी ????
आज तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए उसने कभी भी एक बार भी नहीं कहा कि मेरी जान को खतरा है या मुझे मारने की कोशिश की गई फिर कल प्रधानमंत्री जी ने अचानक ऐसा क्यों बोला ???
क्या फ्लॉप रैली को संभालने के लिए ?
वैसे भी धीरे धीरे सांप की मन की बात का भी कोई असर नहीं हो रहा और खुद भक्तों ने भी साहब के मन की बात सुनना छोड़ दिया है जिससे लाइक से ज्यादा तो डिसलाइक आते हैं.
हर समय लाइम लाइट में रहने के आदि प्रधानमंत्री जी ने कल भी शायद लाइम लाइट में रहने के लिए ही ऐसा स्टेटमेंट दिया होगा, पर ये दाव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है.
1 साल से ज्यादा समय तक दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं किसानों ने भी कभी नहीं कहा कि हमारी जान को खतरा है, आए दिन कई आंदोलन होते रहते हैं आंदोलनकारियों ने भी कभी नहीं कहा कि हमारी जान को खतरा है.
फिर सबसे ज्यादा सिक्योरिटी से घिरे रहने के बावजूद प्रधानमंत्री जी को ऐसा क्यों कहना पड़ा ????
Kalpesh Raval
Journalist
Twitter: @Ravalkalpesh_s
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