ब्राह्मणों की राजनीति खत्म करने में सीआर पाटील भी विजय रूपानी के रास्ते...!?


ब्राह्मणों की राजनीति खत्म करने में सीआर पाटील भी विजय रूपानी के रास्ते...!?
गुजरात प्रदेश प्रमुख सीआर पाटील द्वारा हालत में ही गुजरात भाजपा पार्लमेंट्री बोर्ड की घोषणा की गई उसमे एक भी ब्राह्मण नेता को जगह नहीं दी गई।
जनसंघ, आरएसएस और भाजपा की स्थापना से ब्राह्मण वर्चस्व से जानी जाने वाली भाजपा और जनसंघ में आज ब्राह्मणों की राजनीति खत्म करने का काम किया जा रहा है.
जनसंघ और भाजपा के सुवर्णकाल में भाजपा को आगे लाने वाले अनेक ब्राह्मण नेता जब से विजय रुपाणी के हाथ में गुजरात भाजपा की डोर आई तब से साइड लाइन किए जा रहे है. अब उसी रास्ते पर गुजरात भाजपा के प्रमुख सीआर पाटील भी चलने लगे हैं. 
संघ के स्थापक गुरु गोवलकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, अटलबिहारी वाजपेई, मुरली मनोहर जोशी जैसे देश के अनेक दिगाज नेता ब्रह्म समाज ने दिए है. एक समय में ब्राह्मण वर्चस्व वाली पार्टी कही जाने वाली भाजपा आज पटेल और बनियो की पार्टी बनकर रह गई है. समग्र सौराष्ट्र और गुजरात में गांव गांव जाकर जिन ब्राह्मणों ने भाजपा को सींचकर बड़ा वृक्ष बनाया उसी ब्राह्मणों की आज भाजपा उपेक्षा करने लगी है.
जब विजय रुपाणी प्रदेश प्रमुख और मुख्यमंत्री बने तब से भाजपा के लिए अपना सर्वस्व जीवन बलिदान कर देने वाले ब्राह्मण नेताओ को भी साइड लाइन कर दिया है.
हाल में पाटिल द्वारा चुनाव कमिटी की घोषणा की गई उसमे पटेल, राजपूत, आदिवासी समाज को तो स्थान दिया गया है, पर भाजपा की स्थापना से अब तक भाजपा की वोट बैंक बने ब्राह्मण जाति के नेताओ का राजकीय भविष्य खत्म करने का पूरा ख्याल रखा गया है.
आज तक ब्राह्मणों का और भाजपा का इतिहास रहा है की ना तो ब्राह्मण भाजपा से अलग और ना ही भाजपा ब्राह्मण से अलग, फिर अचानक ब्राह्मणों का भाजपा प्रमुख द्वारा तिरस्कार क्यो ?
ये बात तो ठीक है की राजनीति में समय के बदलाव के साथ साथ परिवर्तन भी जरूरी हो जाता है. पर भाजपा का इस तरह से पूरी ब्राह्मण जाति को राजनीति से खत्म करना भाजपा को ही भारी पड़ सकता है.
क्योंकि भाजपा की आदत रही है पुराने नेताओं को साइडलाइन करके नए-नए नेताओं को खड़ा करना. पर एक बात समझ नहीं आ रही किसी भी दूसरी पार्टी से आने वाले को स्टेज पर जगह मिल जाती है पर पुराने कार्यकर्ताओं की हर बार उपेक्षा होती रहती है. जिन लोगों को राजनीति तो किया राष्ट्र नीति का भी पता नहीं होता उन लोगों को भाजपा बड़े-बड़े पदों पर बिठा देती है, तो क्या पुराने नेता अब सिर्फ वोट देने के लिए और नए नेताओ को सलाम ठोकने के लिए ही पार्टी में रखे हुए है ???
यह बात नई नहीं है की नए मुखिया आते ही अपने लोगो को पद देने का काम करे, पर गुजरात भाजपा के मुखिया ने तो पूरी ब्राह्मण जाति के नेताओ की राजनीति खत्म करने का काम किया है.
हाल हो रहे 5 राज्यो के चुनाव में सबसे बड़े उत्तरप्रदेश में भी ब्राह्मण वोटरों का प्रभाव है. क्या पाटिल की ब्राह्मणों से परहेजी उत्तरप्रदेश में नही दिखेगी ???
अब वो समय नहीं रहा की किसी भी पार्टी का नेता किसी को भी वोट करने को कहें और वोटर उनको वोट कर दे. इसलिए सभी को सोचना पड़ेगा. 
भाजपा प्रदेश प्रमुख सी आर पाटिल ब्राह्मण विरोधी है ऐसा कहने का मेरा मतलब नही है, पर पाटिल के पास अभी भी गुजरात चुनाव आने में समय है तब तक समय है की ब्राह्मण ज्यादा नाराज हो और उस आग में भाजपा का कमल खाक हो जाए उससे पहले ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने का प्रयास जरूर कर सकते है.
ये सिर्फ भाजपा की ही नही सारी पार्टियों और पार्टियों में शामिल ब्राह्मण नेताओ के लिए है.

Kalpesh Raval
Journalist
jamnagar

टिप्पणियाँ

  1. बीजेपी ब्राह्मणों का आज तक गलत इस्तेमाल करते हैं आइए बहुत अच्छी तरह के साथ में वर्णन किया है

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