क्या अब हनुमान चालीसा, लाउड स्पीकर को ही विकास समझा जाए ????

क्या अब हनुमान चालीसा, लाउड स्पीकर को ही विकास समझा जाए ????
आज देश में कही भी देखे रमजान माह शुरू होने से लेकर आज तक कही न कही भाजपाई और उनके सहयोगी पार्टियों द्वारा अजान का विरोध करते हुए मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने का अभियान चलाया गया.
हा ये बात जरूर है की कई वायरल हुए वीडियो में अंध भक्तो को हनुमान चालीसा पढ़कर भी बोलनी नही आती थी, तब वो सिर्फ होंठ हिलाते थे या किताब के पन्ने पलटते रहते थे...! 🤔
2014 से पहले विकास की बात करके लोगो को 15 लाख, बुलेट ट्रेन, किसानों की दुगनी आय, मुफ्त सिलिंडर और अन्ना हजारे के कंधे पर महंगाई के विरोध में आंदोलन रूपी बंदूक रखकर सत्ता में आई सरकार को सत्ता में आने के बाद जनता की कोई परवाह नही ऐसा लग रहा है.

क्योंकि सत्ता में आने के बाद महंगाई का विरोध करते थे पर जब अब सत्ता में बैठे है तो न महंगाई की चिंता है और ना जनता को जवाब देने की परवाह करते है.

मतलब "ऊंची दुकान, फीका पकवान"...!
जनता को अच्छे दिन के मुंगेरीलाल वाले सपने दिखाए गए और जनता उन्ही सपनो को सच मानकर सत्ता सौंपती गई. फिर क्या सत्ता मिल गई खेल खत्म..! फिर जनता की क्यो सुनेंगे ????
किसानों की आय दुगनी करने की बात की पर जब आंदोलन के समय 700 से ज्यादा किसान भगवान को प्यारे हो गए तो मोदीजी को कुछ फर्क नही पड़ा. आखिर किसानों को समझाकर आंदोलन को स्थगित करवा दिया गया. ये विश्वका सबसे बड़ा और ज्यादा समय चलने वाला किसान आंदोलन था.

बेरोजगार नोकरी के लिए भटक रहे है, पर पेपर लीक हो जाते है...

अच्छे खासे पढ़े लिखे नौजवानो को अंध भक्त की तरह उपयोग किया जा रहा है. क्योंकि जो लोग सरकारी नोकरी करना चाहते है उनके लिए एक्जाम तो होते है पर एक्जाम आने से पहले ही पेपर लीक हो जाते है, इसी एक्जाम के नाम पर सरकार नौकरी की आश लगाए नौजवानो से एक्जाम फीस के नाम पर करोड़ों रुपिया सरकारी तिजोरी में इकठ्ठा कर चुकी है..

विकास का मतलब क्या है ???

जनता को विकास के नाम पर रोड अच्छे चाहिए, घर के नल में पानी रोज आना चाहिए, महंगाई कम होनी चाहिए, शहर स्वच्छ होने चाहिए, शिक्षा अच्छी और मुफ्त मिलनी चाहिए, स्वास्थ्य सेवा मुफ्त मिलनी चाहिए वगेरह... पर क्या ये सब आपको मिलने लगा है ???

सरकार के हिसाब से जो विकास है उनके नाम पर चुनाव क्यो नही ????

सरकार के हिसाब से 2014 से अब तक चारो और विकास ही विकास हुआ है, तो फिर विकास के नाम पर वोट क्यों नही मांगे जाते ??? चुनाव नजदीक आने पर हिंदू मुस्लिम, धर्म, लाउड स्पीकर, हनुमान चालीसा के जाप क्यो जपने लगते है ???
आज जनता भी जाग चुकी है और जान भी चुकी है, आप कुछ भी करे जनता बार बार झांसे में नही आने वाली. जनता के वोट से सत्ता में आने के बाद जनता के काम न होने पर जनता सत्ता की कुर्सी से नीचे उतारना भी अच्छी तरह जानती है.

धर्म के नाम पर राजनीति बंध हो....

जनता को धर्म के नाम पर आपस में लड़वाना बंद करे, क्योंकि आज तक कभी राजनीति में हो या सामाजिक वजह से भाईचारा खत्म नहीं हुआ. भाईचारे से रहने वाले राम - रहीम को साथ रहने दो...
कल्पेश रावल
संपादक एवं पत्रकार

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