कोंग्रेस ने आफत को भी अवसर में बदल दिया..
कोंग्रेस ने आफत को भी अवसर में बदल दिया
जी हा, सच यही है...
ED द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ में तेजी के चलते कोंग्रेस के छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े बड़े नेता, मुख्यमंत्री तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी के समर्थन में रास्ते पर उतर पड़े है...
कोंग्रेस के चाणक्य का दाव...
पिछले कई सालो से आप देख रहे है कड़ी मशक्कत के बावजूद भी कोंग्रेस को कई राज्यों में हार का सामना पड़ रहा है. बड़े बड़े नेताओं की रैली और सभाओं में भिड़ तो जुटा लेते थे पर उस भिड़ से वोट नही जुटा पाते थे...
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इस बार कांग्रेस द्वारा कुछ अलग ही तरीके से अपने छोटे छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े बड़े नेताओं में जोश भरने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी का साथ देने और ED की कार्यवाही के विरोध के लिए ऐसे कार्यक्रम बनाए की निंद्राधीन नेताओ को भी AC चेंबर से निकल कर रास्ते पर आना पड़ा.
इस बात का फायदा आने वाले चुनाव में कांग्रेस को जरूर मिलेगा, क्योंकि इस आंदोलन से कांग्रेस के हर एक कार्यकर्ता और नेताओ में नवचेतना का संचार जाग गया है.
आज तक कभी भी कोंग्रेस द्वारा हुए प्रदर्शन में ऐसी एकता शायद ही आपको कभी देखने मिली होगी. क्योंकि हर चुनाव में हार का सामना करने पर कार्यकर्ता और नेताओ का उत्साह कम पड़ गया था. आने वाले चुनाव के लिए कोंग्रेस की चाणक्य नीति ने अच्छा काम किया और सभी कोंग्रेसिओ में जोश भर दिया...
जाने वाले नेताओ से भी कार्यकर्ता नाखुश थे...
धीरे धीरे कोंग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओ की संख्या भी बढ़ने लगी थी, इस बात से भी कई कार्यकर्ता नाखुश लग रहे थे और पार्टी के कार्यक्रम में कम हाजरी देते थे. पिछले दो दिनों से पक्ष और पक्ष के नेताओ का जोश देखकर कई नए कार्यकर्ता भी पार्टी से जुड़े और पुराने कार्यकर्ता जो नाखुश होकर बैठ गए थे वो भी कार्यक्रम में आने लगे...
गुजरात चुनाव में भी दिखेगा असर
इसी साल गुजरात में विधान सभा के चुनाव आने वाले है इस चुनाव में भी असर जरूर दिखेगा. क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस गुजरात में सत्ता से थोड़ी ही दूर अटक गई थी. इस बार शायद पहुंच भी जाए तो कह नही सकते. क्योंकि इस बार कोंग्रेस ने अपनी रणनीति ज्यादातर आदिवासी इलाके जमाई हुई है. नए प्रमुख जगदीश ठाकोर और नए प्रभारी रघु शर्मा इसी नीति पर काम करने लगे हुए है.
क्योंकि आदिवासी इलाके में सत्ताधीशों का विरोध भी बहुत हो रहा है तो उसका लाभ भी कोंग्रेस को मिल सके ऐसा लग रहा है...
हार्दिक के जाने से कोंग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा...
हार्दिक पटेल के कोंग्रेस छोड़कर जाने को कोंग्रेस के नेता और राजनीति के जानकार अच्छा संकेत मान रहे है. क्योंकि हार्दिक पटेल के भाजपा में जाने से उनका भाजपा में भी अच्छा खासा विरोध शुरू हो चुका है. पाटीदार आंदोलन के समय भाजपा की आनंदीबेन की सरकार में 14 पाटीदार यूवाओ को गोली खानी पड़ी और उनकी जान चली गई, तब हार्दिक पटेल हिटलर का नाम पूछ रहा था और अब भाजपा के पाले में जाकर बैठ गया तो समाज जवाब तो पूछेगा ही. पर पाटीदार आंदोलन के बाद हार्दिक ने सिर्फ अपना ही विचार किया है, पार्टी, और समाज का नही.
आंदोलन के बाद हार्दिक द्वारा कोई ऐसा काम नहीं किया गया जिससे कांग्रेस को फायदा होता. हा एक बात जरूर है की हार्दिक के कोंग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने से कोंग्रेस को पता जरूर चल गया की गद्दार तो हमारे घर में ही बैठा था.....
कोंग्रेस अगर इसी जोश के साथ आने वाले चुनाव में लड़ने के लिए उतरे तो शायद कोंग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंच पाए...
दूसरी बात
जिस तरह राहुल गांधी और सोनिया गांधी के समर्थन में आज कोंग्रेस के कार्यकर्ता कर नेता रास्ते पर है उसी तरह जनता के हर एक मुद्दे पर कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता और नेताओ को जनता के समर्थन में उतरना पड़ेगा. क्योंकि वोट तो जनता ही देने वाली है. अगर आपको जनता का सपोर्ट नहीं मिलेगा तो सत्ता की कुर्सी की कल्पना करना मुगेरीलाल के हसीन सपने के बराबर ही होगा...
कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाए
हर एक नेताओ को चाहिए कि अपने हर छोटे छोटे कार्यकर्ताओं का हौसला जरूर बढ़ाए. क्योंकि वो बिना स्वार्थ के आपका साथ देते है और आपको या आपकी पार्टी को जिताने किए अपनी पूरी ताकत झोंक देते है.
आपके पास सत्ता नही होने के बावजूद वो आपके साथ जुड़े है वही आपके लिए बड़ी बात है...
कल्पेश रावल
संपादक और पत्रकार
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