देश की दुर्दशा? या सरकार की मजबूरी?
देशी को शराब पीने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया वहा सरकार के मंत्रियों के लिए उनकी खबर पूछने के लिए जाना उचित है? इनकी मौत देशी शराब पीने से हुई है. क्या अंतिम संस्कार के जुलूस में विपक्षी दल के नेता का शामिल होना जरूरी है जैसे कि वह बॉर्डर पर लड़े और मरे हों?
यहां तक कि मीडिया
उसने माइक्रोफोन के साथ कैमरा लिया और उनके परिवार से संपर्क किया और सवाल पूछा कि यह घटना कैसे हुई। परिवार का जवाब था कि वह हर दिन शराब पीता था। आज शराब पीने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। फिर भी, उसे वहाँ जाना पड़ा आर्थिक रूप से अपना कलेजा खराब कर वहां जा रहा है।
सरपंच द्वारा प्रशासन को लिखे गए पत्र के शब्द "गाँव में शराबियों द्वारा बहुत अत्याचार किया जाता है। असामाजिक तत्व शराब पीते हैं और बहनों-बेटियों से छेड़छाड़ करते हैं और गाँव में अत्याचार सहते हैं।"
ये असामाजिक तत्व कौन थे?
इन तत्वों के बारे में जाकर पूछने या अंतिम यात्रा में शामिल होने की क्या जरूरत थी?
इस कांड से बचे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। हम शराब पीकर बीमार पड़ गए। सरकारी मंत्री हमारी खबर पूछने आए थे। वह अस्पताल से ठीक हो गए और फिर से पीना शुरू कर देंगे।
मरने वालों के परिजनों को सरकार लाखों रुपये देने की घोषणा करेगी, ताकि अन्य लोग जीवन भर शराब पीकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित हों और अंत में सरकार परिवार के सदस्यों की मदद करेगी. लाख रुपये के साथ।
अगर मैं और लिखूं तो शराबी की आत्मा उसकी आत्मा और उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाएगी तो कहीं न कहीं उन लोगों को मुझे यह नहीं कहना चाहिए कि उन्होंने अपने स्वाभिमान को चोट पहुंचाई है।
और अंत में, अगर कोई कहता है कि गुजरात के हर गांव में शराब उपलब्ध है, तो उसे शराब पकड़कर सरकार और व्यवस्था को साबित करना होगा, जो नागरिक को स्वीकार्य नहीं है, इसलिए मैं कहता हूं कि शराब कहीं भी उपलब्ध नहीं है। गुजरात में शराब गुजरात में मिलती है
आप कॉपी पेस्ट करके पोस्ट कर देंगे.अगर किसी शराबी या सरकार या विपक्ष को ठेस पहुँचती है, तो यह आपकी ज़िम्मेदारी होगी क्योंकि अगर किसी का दिल दुखा हो तो मुझे अभी भी खेद है.
विपक्ष ने मांगी थी मौत और मिला बुखार..!
लठ्ठा कांड के बाद विपक्ष की कई पार्टियां रास्ते पर उतरकर गुजरात के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगने रास्ते पर उतरी..!
विपक्षी पार्टियों द्वारा इस्तीफा मांगने के बाद कुछ पुलिस अधिकारियों के तबादले और कुछ पुलिस अधिकारियों को सरकार द्वारा फर्ज मुक्त किया गया. क्या ये ये लोगो और विपक्ष को गुमराह करने के लिए किया गया है???
सब जानते है की ये लठ्ठा कांड पुलिस और सरकार की लापरवाही की वजह से ही हुआ है. एक तरफ लठ्ठा कांड को केमिकल कांड साबित करने की कोशिश की जा रही है, दूसरी और अस्पताल में भर्ती मरीज को फरार घोषित किया जा रहा है...! क्या लोगो को ये नहीं पता की शराब से बीमार होने वालो को फरार घोषित करके मामला रफा दफा करने की भरपूर कोशिश की जा रही है...?!
सोचने वाली बात तो यह है कि जिस कंपनी से केमिकल आया था उस कंपनी का लाइसेंस भी रिन्यू नहीं हुआ था. और बिना लाइसेंस के कंपनी चल रही थी. यह सब भी सरकार के नाक के नीचे ही हो रहा था. तो ऐसे जहरीले केमिकल का उत्पादन इतनी लापरवाही से सरकार क्यों होने दे रही थी ?
शराब कांड के बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे सरपंच और आगे वालों ने कई बार प्रशासन को लिखित में दिया हुआ है कि यहां पर शराब बेची जा रही है और हमारे घर बर्बाद हो रहे हैं. परंतु सरकार के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसका नतीजा 50 से ज्यादा परिवारों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि उनके परिवार का सदस्य या मुखिया इस शराब कांड में जान गवा बैठा...!
कल्पेश रावल
पत्रकार एवं संपादक
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