त्योहारों की रौनक पर महंगाई का ग्रहण...!

 महंगाई की मार, त्योहारो की भरमार...!


आजकल जहा देखो जिसे देखो जनता सिर्फ और सिर्फ महंगाई के मारे परेशान हो रही है, पर आवाज उठाने से डर रही है, कही आवाज उठाई तो हुक्मरान जेल में ना भेज दे. पर आखिर ये मौन कब तक टिक पाएगा ???


श्रावण का महीना शुरू हो चुका है, और मोहर्रम भी शुरू हो चुका है. इसके साथ ही त्योहारों की भरमार शुरू होने वाली है. श्रावण में जन्माष्टमी का मेला, फिर मोहर्रम, फिर गणपति उत्सव, फिर नवरात्रि, शरद पूर्णिमा, दीपावली के साथ न्यू ईयर मतलब आने वाले तीन महीने लगातार त्योहारों में ही बीतने वाले है.


श्रावण में मेले में जाए या घर का बजट संभाले ???



आम जनता के लिए परेशानी वाली बात ये है की त्योहार सिर पर है, महंगाई की मार है ऊपर से त्योहार भी मनाना है पर कैसे होगा ???

2 साल कोरोना में मेले भी बंद थे तो इस साल मेले में भिड़ भी जुटेगी और इसका फायदा मेले वाले जरूर उठाएंगे और दाम दुगने कर देंगे, फिर आम आदमी अपने घर का बजट कितना संभालेगा ? और बच्चो की खुशियों पर कितनी ब्रेक लगाएगा ??? बच्चो की खुशियां भी तो जरूरी है क्योंकि जो कुछ कमा रहे है वो बच्चो के लिए ही तो है, फिर भी दिक्कत तो है ही.


मोहर्रम में मुस्लिम लोगो के बजट पर भी ब्रेक


मोहर्रम शुरू हो गया, पर जिस तरह कोरोना में 2 साल ताजिया जुलूस पर बैन लगा हुआ था उसमे थोड़ी ढील दी गई है, अब ताजिया जुलूस के लिए कोई पाबंदी नहीं है पर जुलूस के लिए ताजिया बनाते है उसकी सामग्री के दाम भी आसमान छू रहे है. महंगाई ने किसी को नही छोड़ा, खुशियों का मौका हो या मातम का माहौल सभी जगह महंगाई की मार चल रही है.


गणपति उत्सव पर लगेगा महंगाई का ग्रहण


गणपति उत्सव वैसे तो महाराष्ट्र का त्योहार है, पर उत्सव प्रिय भारत की जनता अब सभी त्योहार पूरे देश सब के साथ मिलकर मना ने लगी है. इस साल गणपति उत्सव में भी महंगाई की वजह से कई पंडालों पर ब्रेक लगने वाली है. क्योंकि कुछ साल से प्रदूषण नियंत्रण के POP के मटीरियल पर बैन लगा दिया गया है, जिसकी वजह से गणपति बनाने वालो को ना चाहते हुए और महंगा होते हुए भी मिट्टी के गणपति बनाने पड़ रहे है. ऊपर से जिस तरह सरकार ने जीवन जरूरी चीजों पर GST लगा दिया है उसी तरह गणपति बनाने के लिए जो सामान लग रहा है उस के दाम भी बढ़ गए है. अब सामान में दाम की बढ़ोतरी तो होगी ही, ऊपर से गणपति बनाने वालो को मूर्ति बनाने में भी मेहनत ज्यादा लगती है, सामान महंगा और दो साल से गणपति उत्सव न होना सभी वजह शामिल है. और एक बात आज मंदी का माहौल भी है तो मंदी में पंडाल वालो को चंदा भी कम मिलने की आशंका सता रही है, तो पंडाल की संख्या भी कम हो जाए तो कुछ कह नहीं सकते.


नवरात्रि के डांडिया ब्रेक हो सकते है...! 


नवरात्रि मतलब मां अंबा, जगदम्बा की आराधना का पर्व, इस पर्व में छोटी बच्चियों, बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक 9 दिन तक माताजी की आराधना करते है और डांडिया खेलते है. पर शायद इस साल मंदी, महंगाई की वजह से नवरात्रि में भी डांडिया ब्रेक हो सकता है. आयोजको में खेलैया की संख्या को लेकर असमंजस हो सकता है, खेलते के लिए पास की कीमत भी ज्यादा होगी तो महंगाई में आने वाले खिलाड़ियों की संख्या कम होने के आसार और दो साल से बिना काम के बैठे ऑर्केस्ट्रा, के कलाकार, गायक, म्यूजिशियन भी अपने काम के दाम में बढ़ोतरी करेंगे क्योंकि महंगाई की मार तो उन पर भी पड़ी ही है. इसलिए शायद नवरात्रि में भी उत्सव प्रिय जनता को अपने डांडिया पर काबू रखना पड़ेगा.


दीपावली में दियो की झगमग भी फीकी रहेगी...!


वैसे तो दीपावली का त्योहार पूरे भारत और भारत के बाहर निवास करते गुजराती बड़ी धूमधाम से मनाते है पर इस बार की दीपावली में भी महंगाई की वजह से दियो का नूर कम हो जायेगा.

हर साल किसी को भी कुछ नई चीज खरीदनी हो तो वो दीपावली का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते है, क्योंकि दीपावली में उनको उनकी कंपनी की वजह से सालाना बोनस मिलता है, जिससे वो अपने घर के लिए या अपने लिए नहीं चीजे खरीदता है. पर इस साल तो मंदी, महंगाई, और बेरोजगारी की वजह से मार्केट में नई खरीददारी का माहौल भी ठीक से बनता नही दिख रहा. क्योंकि जिसकी नौकरी चली गई उनको जब अपने घर चलाने के लिए भी दिक्कत हो रही हो वो अपने या अपने परिवार के लिए नई चीज क्या खरीदेगा ??? वैसे तो दीपावली खुशियों का त्योहार होता है पर दूध से लेकर शमशान की सामग्री तक में GST लगने से सब कुछ महंगा होने के कारण दीपावली पर भी माहौल खुशियों वाला रहेगा ऐसा नहीं लग रहा.


खेर जो भी हो महंगा हो या सस्ता, पैसा हो या न हो पर जब से कोरोना काल से हम लोग गुजरे है और उसमे जैसे हमने बिना पैसे, कम पैसे, कम जरूरतों में जिंदगी को जीना सीख लिए वैसे ही हमे आगे भी जीने की तैयारी रखनी और सीखनी ही होगी, क्योंकि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि "ये दिन भी नही रहेगा"... मतलब जैसे अच्छे दिन (असली वाले) नही रहे वैसे ही ये बुरे दिन भी नही रहेंगे. त्योहारों का मजा बिना टेंशन के लीजिए. वक्त बदलेगा जरूर.

Best Of Luck







कल्पेश रावल

पत्रकार एवं संपादक 

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