भाजपा को बनाने वाले ब्राह्मणों से भाजपा को परहेज क्यों ???

 भाजपा को बनाने वाले ब्राह्मणों से भाजपा को परहेज क्यों ???

जब से भाजपा की स्थापना हुई तब से लेकर तीन दसको तक भाजपा में ब्राह्मणों की इज्जत होती थी, क्योंकि भाजपा को खड़ा करने वाले ही ब्राह्मण यानी दिन दयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओ की वजह से ही पार्टी का निर्माण हुआ था.


परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया, पार्टी बड़ी होती गई, पहली बार सांसद में 2 सीट जीत कर आने वाली भाजपा आज पिछले 8 साल से केंद्र में सत्ता में बैठी है और 15/16 राज्य में गठबंधन करके अपनी सरकार चला रही है.

हिंदुत्व के एजंडा के चलते ब्राह्मणों ने पार्टी को अब तक सपोर्ट किया हुआ है. पर पार्टी का अब ये हाल हो चुका है की ब्राह्मणों की जरूरत भाजपा को कम महसूस हो रही है 

सोचने वाली बात ये है की ब्राह्मणों द्वारा खड़ी की जाने वाली भाजपा में ब्राह्मणों को कद के अनुसार क्यो साइड लाइन किया जाने लगा है????

नाम लिखने जायेंगे तो बड़ा लिस्ट बनेगा और कई नाम छूट भी जायेंगे. गुजरात में कद्दावर नेता जाने जाने वाले हरेन पंड्या की हत्या हुई तब से लेकर आज तक अभी भी उनके हत्यारे पकड़े नही गए.

गोधरा काण्ड का राज जानने वाले संजीव भट्ट को कैसे भी करके जेल से बाहर नही निकलने दिया जा रहा. ऐसे तो कई ब्राह्मण  नेता है जिनकी राजकीय करकीर्दी भाजपा ने खत्म करने की ठान ली हो, ऐसा प्रतीत होने लगा है.


कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पार्टी के संगठन के पद से हटाया गया, अब गुजरात में राजेंद्र त्रिवेदी को मंत्री पद से हटाया गया. और जब सी. आर. पाटिल गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष बने तभी भी पार्टी के संगठन से ब्राह्मणों को दूर रखा गया.


देखने वाली बात ये है की फिर भी आज तक ब्राह्मण सिर्फ और सिर्फ भाजपा को ही वोट करते आए है. शायद भाजपा नेताओं ने सोच लिया होगा की ब्राह्मण वोटर तो भाजपा को छोड़कर जायेंगे नही तो उनको कितना भी अन्याय करे क्या करेंगे ???


सौराष्ट्र में मेरी कई ब्राह्मणों से बात हुई की भाजपा द्वारा ब्राह्मणों को इतना अन्याय हो रहा है, फिर भी आप भाजपा से क्यो जुड़े हुए है ???

कुछ लोगो का कहना है, जिस भाजपा को ब्राह्मणों के पूर्वजों ने खड़ा किया हो उस भाजपा को ब्राह्मण कैसे छोड़ सकते है ??? उनकी बात भी सही है, पर जब तक ब्राह्मण नेताओ को योग्य पद मिलता था, तब तक सही था. अब क्या हो रहा है ????


कोंग्रेस, राजपा, या कोई भी अन्य पार्टी से भाजपा में शामिल होने वाले ब्राह्मणों को छोटे मोटे पद पर बिठा दिया जाता है, और उसमे वो खुश भी हो जाते है. पर जो ब्राह्मण नेता पार्टी की शुरुआत से भाजपा में जुड़े हुए है, उनको अन्याय हो रहा है, उनके लिए बोलने वाला कोई नहीं है.


गुजरात में विधान सभा चुनाव आने वाले है, तभी भी ब्राह्मणों को साइड लाइन किया जायेगा, क्योंकि ब्राह्मणों के नेता जो अपने आप नेता बन चुके है, वो भाजपा नेताओं की चापलूसी में लगे हुए है. क्या गुजरात में भाजपा को 30/35 लाख ब्राह्मण के से  कोई भी ऐसा ब्राह्मण नेता नही मिल रहा जिनको अपने संगठन में शामिल कर सके ???


जब चुनाव में टिकिट देने की बात आएगी तब भाजपा वाले ज्यादातर ब्राह्मण महिलाओ को टिकिट देने की बात करते है. और सत्ता लालची ब्राह्मण नेता भी अपनी बहन, बेटी, पत्नी, या अपनी माता या फिर किसी नजदीकी रिश्तेदार महिलाओ के नाम पर टिकिट लेकर चुनाव लड़वाते है. तो क्या ब्राह्मण पुरुष चुनाव लडने के काबिल नही है ???

स्त्रियों को कब तक आगे करते रहोगे ???


भाजपा में बनिया मुख्यमंत्री बन सकता है, महाराष्ट्रीयन प्रदेश प्रमुख बन सकते है, पर ब्राह्मणों के लिए ऐसे बड़े पद पर कोई चांस नहीं ????


रामभाईं मोकरिया को भाजपा ने राज्यसभा में चुनकर भेजा है, तो क्या राम भाई ब्राह्मणों को टिकिट दिलवाने में मदद कर पाएंगे ??? 


जब अटल बिहारी वाजपेई की मृत्यु हुई तब यही भाजपा अटल बिहारी वाजपेई जी के अस्थि को कलश में भरकर पूरे देश में घूमी थी, क्योंकि तब चुनाव चल रहे थे, पर अभी कुछ दिन पहले अटल बिहारी वाजपेई जी की पुण्यतिथि थी तब भाजपा के एक भी नेताने अटल बिहारी वाजपेई जी के घर पर जाकर शोक मनाना या अटलजी को याद करना भी जरूरी नहीं समझा. क्यो ???


तकवादी भाजपा को अब पहचानने की जरूरत है, क्योंकि भाजपा की शुरुआत से ही ब्राह्मणों का सिर्फ उपयोग ही किया गया है. ब्राह्मणों को भी समय के साथ अपने विचार बदलने की जरूरत है. क्योंकि जब तक आप अपना विचार नही बदलेंगे राजनीति में आपको पूछने वाला कोई नहीं मिलेगा.







कल्पेश रावल

पत्रकार एवं संपादक 

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