कॉरोना की आड़ में भारत जोड़ो यात्रा रोकने का प्रोपगेंडा
कॉरोना भी अब राजनीति बन रहा है.
जी हा
आपको पढ़कर यकीन नही होगा पर ये बात सच है.
जब कोरोना की एंट्री हो रही थी तब सरकार द्वारा ट्रंप का समारोह जनता की भिड़ के बीच किया गया था. तब सरकार को कोरोना बढ़ने की चिंता नहीं थी. हालाकि ट्रंप के समारोह के बाद ही गुजरात और पूरे देश में कोरोना ने हाहाकार मचाया था और कई लोगो ने अपनी जान गवाई थी.
ऑक्सीजन की किल्लत, अस्पताल में बैड की किल्लत, इंजेक्शन ना मिलना, शमशान में कतारे, घर वापसी के लिए बीच रास्ते फंसे लोग और आधी सफर में बीच रास्ते पर कई लोगो ने अपनी जान गवाई थी.
ये बात तो पूरा देश जनता ही है. पता होने पर भी सरकार ने अपने निर्धारित कार्यक्रम चालू रखे थे और जनता की जान से खिलवाड़ करने का काम किया था.
आज हालात फिर से गंभीर होने की बात करके मंत्री मनसुख मांडविया ने कोंग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाया है.
मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा है की भारत जोड़ो यात्रा में कोरोना प्रोटीकोल का पालन किया जाए, अन्यथा यात्रा को रोक दिया जाए.
अब जनता के मन में कई सवाल उठने लगे है, माना की चीन में कोरोना फिर से हरकत में आ गया है और कई शहरों में लोक डाउन की स्थिति भी हो गई है, साथ में शमशानो में कतारों के वीडियो भी शेयर किए जा रहे है. ये बात हल्के में लेने की तो नही हो सकती.
सवाल ये है की जब गुजरात, हिमाचल व अन्य प्रदेशों में चुनाव चल रहे थे तब और अभी भी कई धार्मिक संस्थानों के सामूहिक कार्यक्रम चल रहे है, तब मनसुख मांडवीया ने सिर्फ कोंग्रेस द्वारा चल रही भारत जोड़ो यात्रा को ही टारगेट क्यो किया ????
अभी तत्काल किसी भी जगह चुनाव नही है इसलिए विपक्ष को रोकने की साजिश के तहत सरकार के मंत्री के द्वारा दिए गए बयान पर सब सोशल मीडिया पर भी सवाल उठाने लगे है, की क्या कोरोना सिर्फ विपक्ष ही फैलाता है ???
क्या आपने विदेश से आने वाली फ्लाइट पर कोई रोक लगाने पर विचार किया ??? सामूहिक कार्यक्रमों को लेकर आपने बंद करने के लिए कुछ सोचा ??? अगर भारत में कोरोना बढ़ता है तो सरकार के पास क्या क्या तैयारिया है ????
क्या फिर से जनता को लोक डाउन में हुई परेशानियों जैसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ???? अस्पतालों में किस प्रकार की तैयारिया शुरू की गई ??? ऑक्सीजन को लेकर क्या क्या तैयारिया की गई ???
अगर लोक डाउन जैसा माहौल हुआ तो सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए क्या क्या व्यवस्थाएं की गई ???? ऐसे कई सवाल जनता के द्वारा पूछे जा रहे है.
सोचने वाली बात तो ये है की जब सरकारी संस्था, राजनैतिक दल, और धार्मिक संस्थानों द्वारा कोरोना प्रोटोकोल का पालन नहीं किया जा रहा हो तो आप जनता से या विपक्षी पार्टियों से क्या अपेक्षा रख सकेंगे ?????
पिछले समय में कोरोना ने कई बुरी यादों को छोड़ा है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए पर जो गलतियां सरकार के द्वारा पिछली बार हुई ऐसी गलतियों को नजर अंदाज भी नही किया जा सकता.
कोरोना में जब अचानक लोक डाउन किया गया तब पूरे देश में अफरातफरी का माहौल बन गया था. जैसे नोट बंदी के समय अचानक रात 12 बजे से 1000 और 500 के नोट मार्केट से बाहर करने की बात की गई तब उसी रात से कई दिनों तक लोग बैंक की कतार में खड़े रहे थे, इसमें भी कई परिवार बर्बाद हो गए थे और कई परिवारों के मुखिया या सदस्य को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा था.
वैसे ही कोरोना में भी हुआ, सरकार के द्वारा मुफ्त राशन योजना तो शुरू की गई पर इस योजना का लाभ लेने के लिए भी कई कड़े नियब को लागू करने की वजह से कई परिवार इस योजना का लाभ नहीं ले पाए थे. छोटे छोटे व्यापारी जो अपने परिवार का गुजरान हर दिन कमाकर हर दिन खर्च करके चला रहे थे, वैसे व्यापारियों का व्यापार कोरोना में अचानक किए गए लोक डाउन की वजह से बर्बाद हो गए.
आज हालात ये है की छोटे व्यापारी भी बेरोजगारों की लिस्ट में शामिल हो गए है. क्योंकि जो व्यापार था वो तो लोक डाउन में बर्बाद हो गया, छोटे व्यापारियों को कोई पैसे बाकी रखकर सामान भी नही देता, उसकी वजह से छोटे छोटे कारोबारियों को अपना वो व्यापार बंद करना पड़ा, आज वही व्यापारी रास्ते पर नज़र आ रहे है, या तो किसी संस्था में नोकरी करते हुए नजर आ रहे है. मालिक बने छोटे व्यापारी आज कर्मचारी बने है वजह सिर्फ और सिर्फ लोक डाउन ही है.
सोचना सिर्फ भारत जोड़ो यात्रा के लिए नही पर जहा जहा राजनैतिक दल, धार्मिक संस्थानों, और अन्य समूहों द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यक्रमों को लेकर एक जैसी नीति बनानी होगी, तभी आने वाली परेशानियों से लड़ने में कामयाब हो पाएंगे.
कल्पेश रावल
पत्रकार एवं संपादक
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