नए साल में आम जन की अपेक्षाएं क्या है ???
नए साल में आम जन की अपेक्षाएं क्या है ???
कोविड की आहट के बीच जाए साल के स्वागत के लिए कई शहर में कई जगह पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित हुए. टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर भी भारी भीड़ देखने मिली, होटल, रेस्टोरेंट, क्लब सभी जगह नए साल का स्वागत जोरदार तरीके से किया गया. जो लोग पैसे खर्च कर सकते थे उन्होंने घर के बाहर पार्टी की, और जो आम लोग पैसे खर्च करने ने सक्षम नही थे, उन्होंने घर पर टीवी या ओटीटी पर अपनी पसंदीदा मूवी या प्रोग्राम देखकर 2023 का स्वागत किया. यूवाओ के लिए उत्सव मनाने के लिए आज ऑप्शन की कोई कमी नही है.
बात मुद्दे की...
आज मुझे बात करनी है की आज शुरू हुए 2023 के नए साल में आम जन, व्यापारी, महिला, युवा, विद्यार्थियों की क्या अपेक्षाएं है.
महिलाओ की अपेक्षाएं..
आज से शुरू हुए नए साल में महिलाओ की अपेक्षाएं बस इतनी ही है, की रोजबरोज काम में आने वाली रसोई गैस, बिजली, राशन, सब्जी, कपड़े, आदि के दामों में जो कई साल से बढ़ोतरी हो रही है जिसकी वजह से आम परिवार की महिलाओ के घर का बजट बिगड़ा हुआ है. कभी थाली में दाल नही, तो कभी चावल नही, तो कभी बिना सब्जी के खाना परोसने की नौबत कई परिवारों में आ चुकी है. क्योंकि बढ़े दामों के चलते अगर पूरी थाली परिवार को परोसने जाए तो किचन का बजट पूरे महीने की बजाय 15 दिनों में ही खत्म हो जाए.
इसी बीच अगर रिश्तेदारों में कही पारिवारिक प्रसंग आ गया तो बजट की लंका ही लग जाती है.
क्योंकि रिश्तेदारी निभाने के लिए प्रसंग में भी जाना पड़ता है, फिर चाहे वो खुद के शहर में हो या किसी और शहर में हो. आने जाने का किराया, नए कपड़े खरीदो, रास्ते के खाने पीने का खर्च, रिश्तेदार को गिफ्ट देने में खर्चा अनेकों खर्च बढ़ने की वजह से आम जनता का पूरा बजट बिखर जाता है. जिससे आम परिवार की महिलाओ को उससे आने वाले साल में राहत मिले ऐसी आशा रखती है...
यूवाओ की आशा और अपेक्षा
दिन ब दिन बदलते समय के साथ चलने के लिए यूवाओ को भी अपने आप को सब के साथ चलना पड़ता है, पर मुश्किल ये है की युवा आज बेरोजगार घूम रहा है. सरकारी भर्ती तो निकलती है पर कभी एक्जाम पेपर लीक हो जाता है, एक्जाम होती ही नहीं और तारीख पे तारीख का मामला हो जाता है, या फिर एक्जाम होने के बाद भर्ती के लिए एपोइंटमेट लेटर नही मिलता.
विश्व के सबसे ज्यादा युवा सिर्फ भारत में है, यूवाओ के माता पिता अपना पेट काटकर अपने बच्चो को पढ़ाते है, ताकि बच्चे पढ़े और उनको अच्छी नोकरी मिले ताकि वो बच्चा या बच्ची अपने परिवार का अच्छा ख्याल रख पाए, पर होता क्या है ???? सरकार चुनाव में नोकरी देने के वादे तो हर बार करती है, पर रोजगार कितनो को मिला ये कभी कोई पूछता भी नही और हुक्मरान बताते भी नही. चुनाव खत्म होने पर वादे भी जुमले हो जाते है.
इसलिए युवा चाहते है की सरकार में पड़े खाली पदों पर जल्द से जल्द एक्जाम हो और उन पर तुरंत भर्ती की जाए, जिससे बेरोजगार घूम रहे यूवाओ का भविष्य बर्बाद न हो.
आम आदमी, व्यापारियों की अपेक्षाएं...
जैसे की आप जानते है केंद्र सरकार की और से फिर से 80 करोड़ से ज्यादा लोगो को मुफ्त राशन देने का एलान किया है. वो इसलिए किया गया है की देश की 60% से ज्यादा आबादी आम परिवार है. जिसमें ठेले, कुलचे वाले से लेकर छोटी सी दुकान चलाने व्यापारी, मजदूरी करने वाले मजदूर, रास्ते पर भीख मांगने वाले भिक्षुक, रोज मजदूरी कर के रोज खाने वाले रोजमदार, छोटे छोटे व्यापारी शामिल है.
जब महंगाई कम नही होगी तो व्यापारियों के पास खपत कम होगी और खपत कम होगी तो व्यापारी का व्यापार भी बंद होगा, आम आदमी अपनी जरूरत के लिए भी सामान नहीं खरीद पाएगा तो क्या करेगा ??? ये भी सोचने वाली बात है.
माना की साल बदल रहा है, पर क्या आम आदमी के हालात बदलेंगे ????
आम लोग आम जिंदगी जीते है, उनकी जरुरते भी अपने बजट के हिसाब से होती है, पर अगर इस साल भी बीते कुछ सालों की तरह महंगाई बढ़ती रही तो आम परिवारों का क्या होगा ???
पैसे वालो के पास पैसे है, इसलिए उनको कुछ भी खरीदने, खाने पीने, या अपने शौक पूरे करने में कोई दिक्कत नही आयेगी.
गरीबी में जी रहे परिवार मांगकर अपना घर चला लेंगे, पर जो मध्यम वर्ग है उनका क्या ??? जो न खर्च कर पाएगा और ना किसी से मांग सकेगा.
सरकार को चाहिए की बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने चाहिए, क्योंकि एक बार बाजार में किसी भी चीज के दाम बढ़ते है तो व्यापारी उनको घटाने का नाम नही लेते. चाहे उनको बनाने के सामान के दाम क्यो कम न हो जाए. इसलिए बाजार को कंट्रोल करना जरूरी है.
सरकार द्वारा मुफ्त राशन अगर मिल भी जाए तो क्या ???
जैसे सरकार ने तय किया है उस तरह अगर आम जनता को मुफ्त राशन मिल भी जाए तो क्या होगा ??? उनको पकाने के लिए गैस, तेल, मसाले, दूध, चाय, चीनी, साबुन, आदि के लिए अधिक खर्च होगा वो कहा से आएगा ? ये कभी किसी के सोचा है ???
जिसका खुद का घर हो उनको हाउस टैक्स, पानी टेक्स, बिजली बिल आदि खर्चे आते है वो खर्च कैसे निकलेगा ???
दिक्कते कई है, अपेक्षाएं भी कई है पर जीना तो हर हाल में होगा. क्योंकि यही अच्छे दिन है यही मानकर चलना पड़ेगा...!
आगे फिर किसी नए मुद्दे पर मिलेंगे.
कल्पेश रावल
पत्रकार एवं संपादक
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