ब्राह्मण कौन है ???
ब्राह्मण कौन है ???
प्रधानमंत्री जी या मुख्यमंत्री जी ध्यान से सुनिएगा... ब्राह्मण (General Category) कौन हैं ??
जिस व्यक्ति पर एट्रोसिटी_एक्ट 89 के तहत बिना इन्क्वारी के भी कार्यवाई की जा सकती है, ब्राह्मण जिसको जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करके बेखौफ गाली दी जा सकती है, वो ब्राह्मण है। देश में आरक्षित 131 लोकसभा सीटो और 1225 विधानसभा सीटो पर चुनाव नहीं लड़ सकता है, लेकिन वोट दे सकता है, वो ब्राह्मण है। जिसके हित के लिए आज तक कोई आयोग नही बना, वो ब्राह्मण है। जिसके लिए कोई सरकारी योजना न बनी हो, वो ब्राह्मण है। जिसके साथ देश का संविधान भेदभाव करता है, वो ब्राह्मण है। मात्र जिसको सजा देने के लिए
NCSC और NCST का गठन किया गया वो ब्राह्मण और है। मात्र जिसे सजा देने के लिए हर जिले में विशेष SCST न्यायालय खोले गए हैं, वो अभागा ब्राह्मण है। जो स्कूल में अन्य वर्गों के मुकाबले चार गुनी फीस दे कर अपने बच्चों को पढाता है, वो बेसहारा ब्राह्मण है। नौकरी, प्रमोशन, allotment आदि में जिसके साथ कानूनन भेदभाव वैध है, वो बेचारा ब्राह्मण है। सरकारों व सविधान द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाने वाला ब्राह्मण है। सबसे ज्यादा वोट देकर भी खुद को लुटापिटा ठगा सा महसूस करने वाला ब्राह्मण है। सभाओं में फर्श तक बिछा कर एक अच्छी सरकार की चाह में आपको सत्ता सौंपने वाला ब्राह्मण है । देश हित मे आपका तन मन धन से साथ देने वाला ब्राह्मण है। इतने भेदभाव के बावजूद भी, धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो की भावना जो रखता है, वो ब्राह्मण है। सबका साथ सबका विकास में हमारी स्थिती क्या है ? विचार अवश्य करें। समस्त ब्राह्मण परिवारों की तरफ से भारत सरकार को समर्पित।
ब्राह्मणों का इतिहास
ब्राह्मण धर्म - वेद
ब्राह्मण कर्म - गायत्री
ब्राह्मण जीवन - त्याग
ब्राह्मण मित्र - सुदामा
ब्राह्मण क्रोध - परशुराम
ब्राह्मण त्याग - ऋषि दधीचि
ब्राह्मण राज - बाजीराव पेशवा
ब्राह्मण प्रतिज्ञा - चाणक्य
ब्राह्मण बलिदान - मंगल आजाद
ब्राह्मण भक्ति - रावण
ब्राह्मण ज्ञान - आदि गुरु शंकराचार्य
ब्राह्मण सुधारक - महर्षि दयानंद
ब्राह्मण राजनीतिक - कौटिल्य (चाणक्य)
ब्राह्मण वैज्ञानिक - आर्य भट्ट
ब्राह्मणों का योगदान
भारत के क्रांतिकारी में 90% क्रांतिकारी ब्राह्मण थे. जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रांतिकारियों के नाम. ब्राह्मण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
चंद्रशेखर आजाद
सुखदेव
बाल गंगाधर तिलक
लाल बहादुर शास्त्री
रानी लक्ष्मीबाई
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल
मंगल पांडे
लाला लाजपत राय
देशबंधु डॉक्टर राजीव दीक्षित
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
शिवराम राजगुरु
विनोबा भावे गोपाल कृष्ण गोखले
कर्नल लक्ष्मी सहगल ( आजाद हिन्द फौज)
ये है ब्राह्मणों का भारत की क्रांति में योगदान. तुम्हारा क्या है ? जरा बताओ तो तुम किस अधिकार से स्वयं को भारतीय कहते हो और ब्राह्मणों का विरोध करते हो ? मुझे गर्व है... "मैं "ब्राह्मण हूं... यदि ब्राह्मण नहीं होगा तो किसी का भी अस्तित्व नहीं होगा.
अथर्व वेद में स्पष्ट लिखा है, ब्राह्मणों की उपेक्षा व तिरस्कार की बात सोचने मात्र बाल से सोचने वाले का सर्वस्व पतन होना शुरू हो जाता है. क्योंकि ब्राह्मण दान देने पर आया तो दधीचि,
दान लेने पे आया तो सुदामा,
परीक्षा लेने पे आया तो भृगु,
तपोबल पे आया तो कपिल मुनि,
अहंकार को दबाने पे आया तो अगस्त मुनि,
धर्म को बचाने पे आया तो आदि शंकराचार्य,
नीति पे आया तो चाणक्य,
नेतृत्व करने पे आया तो अटल बिहारी वाजपेई,
बगावत पे आया तो मंगल पांडे,
क्रांति पे आया तो चंद्रशेखर आजाद,
संगठित करने पे आया तो केशव बलिराम हेगडेवार,
संघर्ष करने पे आया तो विनायक राव सावरकर और क्रोध में आया तो अजर अमर परशुराम.
ब्राह्मण केवल एक ही राज्य में नही, देश के हर एक राज्य और विश्व के हर एक देश में अपनी साख जमाए बैठे हुए है, इसलिए ब्राह्मणों को कम समझने की भूल एक भी राजनेता या उनकी पार्टी को नहीं करनी चाहिए. क्योंकि ब्राह्मणों के बिना राजनीति असंभव है. पिछले कई सालो से कई राजनैतिक पार्टियां और नेता ब्राह्मणों का अस्तित्व राजनीति से खतम करने में लगे हुए है, पर वो ये नहीं जानते जब ब्राह्मण एक साथ खड़े होंगे तो क्या होगा ???
हम ब्राह्मण जरूर है, मांगना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, क्योंकि हम सर्वजाति पर निर्भर है. हमने कभी किसीभी जाती का विरोध नहीं किया, क्योंकि उस पर हमारी आजीविका टिकी हुई है.
फिर भी हमने कभी आरक्षण की मांग नही की. क्योंकि हम जानते है की हमारी विधा ही हमारा रोजगार है, और इसी विद्या से हम हमारा घर और परिवार चला सकते है.
हा ये बात और है कुछ गिने चुने लोग तो सभी जातियों में होते है जो सत्ता चाहत में नेताओ की चापलूसी करके राजनीति में अपनी जगह जमा लेते है, पर वैसे नेताओ को समाज में ऐसी जगह नही मिलती जैसी उनको चापलूसी के पहले मिलती थी.
सबकी अपनी अपनी चाहत होती है, कोई सत्ता के लिए चापलूस बन जाता है, और कोई अपने हक के लिए आजीवन सत्ता के सामने लड़ता रहता है.
में ब्राह्मण हूं, पर सत्ता के लिए सत्ताधीशों की चापलूसी ना करता हूं, और ना कभी करूंगा. समाज के लिए समाज के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज जरूर उठाता रहूंगा. मांगना हमने कभी सीखा नही, अन्याय हमने कभी सहा नहीं, और जो चापलूसी करके राजनैतिक पार्टियों में अपनी जगह बनाने में कामियाब हुए है, हम उनके साथ नही.
हमे अपनी जगह बनानी खुद आती है, पर चापलूसी से नहीं.
पिछले 30 साल में कई ब्राह्मण नेताओ का गुजरात की राजनीति में भी अस्तित्व मिटाने में राजनैतिक पार्टियां सफल रही है, क्योंकि चाटुकार नेताओ की फौज जो खड़ी हो चुकी है...
अभी भी समय है, संभल जाओ दोस्तो, क्योंकि अपना हक चाटुकारिता से हासिल करने से अच्छा होगा की अपना हक अपनी काबिलियत के दम पर लिया जाए.
एक बनो, नेक बनो, सर्वश्रेष्ठ बनो...
महादेव हर, जय परशुराम
कल्पेश रावल
पत्रकार एवं संपादक
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें