जनता "P" से परेशान है..! क्यो ???

जनता "P" से परेशान..! क्यो ???


आम तौर पर देश की सरकार द्वारा बनाए गए कायदे कानून जनता के हित के लिए होते है, और उनका पालन करवाने वाले भी जानता के हित ( ऐसा मानकर चले) में काम करते है, पर जो कायदे और कानून होते है वो जनता की सहूलियत के लिए होते है, ना की जनता को परेशान करने के लिए...


कहते है देश को दो गुजरातियों ने परेशान कर रखा है...!


नाम लिखने की जरूरत नही है, क्योंकि आप के द्वारा बार बार उनका नाम लिया जाता है, इसलिए सीधे मुद्दे पर ही आ जाते है..

मोदीजी की सरकार में 2014 से अब तक जो भी नए नियम बनाए गए, या तो नई घोषणा की गई उनमें सरकार से ज्यादा परेशान जनता हुई है.


नोटबंदी - जनता को लाइन में खड़ा रहना पड़ा, एकाउंट में पैसे होने के बावजूद खुद के पैसे काम नहीं आ रहे थे.

GST - जीएसटी से कई छोटे छोटे व्यापारियों का व्यापार बंद हो गया, क्योंकि जीएसटी में अनगिनत क्षति के कारण बार बार उनमें सुधार किया गया, स्लैब भी ज्यादा रखा है, कुछ व्यापारियों को आज तक जीएसटी समझ नही आ रहा...


कोरोना में लोक डाउन - कोरोना में अचानक लोक डाउन की वजह से कई परिवार के अपनो की जान चली गई, व्यापार बंद पड़ गया, बीच रास्ते में लोग मर गए, ये सभी कुछ होने के बावजूद मोदीजी के कहने पर देश के पढ़े लिखे अनपढ़ों ने ताली, थाली, और घंटा बजाकर मोदीजी की बात को समर्थन दिया. इसके बावजूद हुआ क्या ?? आज लोग बढ़ते हार्ट अटैक की समस्या से जूझ रहे है, वैक्सीन लॉन्च करने में भी जल्दबाजी की गई, जिसमे भी अभी सस्पेंड बना हुआ है. ये सब क्यों किया गया ? सिर्फ और सिर्फ सरकार की वाह वाही के लिए ?? बीती सरकारों ने अनगिनत टिके लॉन्च किए थे, पर कभी इस प्रकार वाह वाही बटोरने के लिए ताली, थाली और 🔔🔔 नही बजवाया था..!


अब करे मानसून और गुजरात के सौराष्ट्र की बात.


वैसे तो आम तौर पर बिजली की परेशानी से पूरा देश परेशान है, पर सौराष्ट्र वासी कुछ ज्यादा है, क्योंकि भर भर के वोट जो दिए है. और ये बात साहब मतलब मोदीजी को भी पता है, किए सौराष्ट्र की जनता चाहे कितनी भी परेशान क्यों न हो सरकार से, फिर भी वोट तो मोदीजी के नाम पर भाजपा को ही देगी, इसलिए चिंता की कोई बात नही.


PGVCL: हाल सौराष्ट्र में PGVCL द्वारा इलेक्ट्रिसिटी का संचालन किया जा रहा है. बारिश का मौसम है, चार बूंदे गिरे या ना गिरे बिजली विभाग के द्वारा बिजली कटौती तय है...!



हर हफ्ते 6/8 घंटे प्री मॉनसून के नाम पर बिलजी कटौती करते रहते है, उसमे क्या काम करते है वो तो राम ही जाने. मेगासिटी अहमदाबाद कहो, सूरत कहो या मुंबई कहो वहा बारिश में बिजली कटौती की इतनी फरियाद नही होती, फिर सिर्फ सौराष्ट्र में ही क्यों ???


POLICE : आम तौर पर सौराष्ट्र में व्यापारी अपना व्यापार सुबह 9/10 बजे शुरू करता है, मानसून का सीजन चल रहा है, तो कभी कबार थोड़े देर से भी अपनी पेढ़ी पर जाकर व्यापार शुरू करता है, खेल शुरू होता है, शाम को जब सब अपना व्यापार, ऑफिस बंद करके घर जाए और खाना खाकर बाहर घूमने निकले तब या तो जब देर रात खाना खाने बाहर जाए तब पुलिस अपना पावर दिखाने के लिए बीच सड़क खड़ी हो जाती है, या तो रेस्टोरेंट बंद करवाने चली आती है. अरे भाई किसी को शांति से व्यापार करने देंगे या नही ?? व्यापारी ने क्या यही गुनाह किया है, की उन्होंने वोट देकर सरकार बनाई है ?? वो व्यापारी है, कोई गुनहगार नही जो आप उनका व्यापार बंद करवाने के लिए दौड़ जाते है.



माना की आपका काम शहर में शांति और कानून बनाए रखना है, पर वो भी व्यापारी है, अपना व्यापार करने बैठे है, बबाल मचाने नही... उनको भी व्यापार करके अपना घर चलाना है, सरकार को टैक्स देना है, अपने कर्मचारियों का घर चलाना है वगेरह..!


दिन में PGVCL वाले काम करने नई देंगे

रात में POLICE 🚨 व्यापार करने नही देंगे तो आम जनता करेगी क्या ??? घर में लाइट नही होगी, तो जनता बाजार में निकलेगी ही, बाजार से भी आप डंडे दिखाकर भगा दोगे, तो जनता क्या करेगी ??? पूर्व नायब प्रधान नितिन पटेल ने तो अपनी सभाओं में भी कहा था, गुजरात शांत है, अब गुजरात के व्यापारी पूरी रात व्यापार कर पाएंगे, तो क्या ये भी जुमला था ?? जनता का कसूर क्या ???


POLITICIAN: उपरोक्त समस्याओं के लिए चुने हुए प्रतिनिधियों के सामने अपनी अरज लगाओ तो, हमारे सामने तो वो अधिकारियों की बैंड बाजा देते है, पर एक दो दिन, या एक दो हफ्ते के बाद सब कुछ वैसा का वैसा ही चलता रहता है...!

सरकार द्वारा दिए गए 5 किलो मुफ्त राशन ( रेवड़ी) से जनता का घर नहीं चलता साहब, घर चलाने के लिए और भी बहुत कुछ चाहिए.

बच्चो की पढ़ाई का खर्च निकलना है, बुजुर्ग मां बाप की देखभाल का खर्च निकालना है, परिवार के पालन पोषण का खर्च निकालना है, आप सब चुने हुए प्रतिनिधियों की सेलरी के लिए टैक्स देना पड़ता है, वो भी तो निकालना है..! आम आदमी की रोज की आमदनी इतनी नही होती की वो इतना खर्चा उठा सके, इसलिए आपके द्वारा दिए गए कॉन्ट्रेक्ट के मालिकों को और गुजरात की रक्षा कर रही पुलिस को कहे थोड़ा जनता पर भी रहम करे...


मतलब साफ है जनता 100% "P" से परेशान है.

गौर कीजिएगा इसमें एक भी बात गलत नही लिखी है मैने.

बात सच्ची लगे और पसंद आए तो आगे फॉरवर्ड करे और सुझाव हो तो कमेंट जरुर करे..








कल्पेश रावल 

पत्रकार एवं संपादक 

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